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    Subrahmanya Shasthi 2025: सुब्रह्मण्य षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय को इन मंत्रों से करें प्रसन्न

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 07:00 AM (IST)

    सुब्रह्मण्य षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दक्षिण भारत में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सुब्रह्मण्य षष्ठी पर मंत्र जप विशेष फलदायी होता है। चलिए पढ़ते हैं कार्तिकेय जी के मंत्र।

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    Subrahmanya Shasthi 2025 (AI Generated Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दक्षिण भारत में भगवान स्कंद के मुरुगन और सुब्रहमन्य नाम से भी जाना जाता है।पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष माह में आने वाली स्कंद षष्ठी को सुब्रह्मण्य षष्ठी के रूप में मनाया जाता है।

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    ऐसी मान्यता है कि स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इस बार यह पर्व आज यानी 26 नवंबर को मनाया जा रहा है। आप इस दिन पर भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्ति के लिए इन मंत्रों व आरती का पाठ कर सकते हैं।

    करें इन मंत्रों का जप

    1. कार्तिकेय गायत्री मंत्र -

    ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:

    2. ऊं शारवाना-भावाया नमः
    ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
    देवसेना मनः कांता कार्तिकेया नामोस्तुते
    ऊं सुब्रहमणयाया नमः

    3. सफलता हेतु मंत्र -

    आरमुखा ओम मुरूगा
    वेल वेल मुरूगा मुरूगा
    वा वा मुरूगा मुरूगा
    वादी वेल अज़्गा मुरूगा
    अदियार एलाया मुरूगा
    अज़्गा मुरूगा वरूवाई
    वादी वेलुधने वरूवाई

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    4. कार्तिकेय स्तोत्र

    योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
    स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥
    गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
    तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥
    शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
    सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥
    शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
    सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥
    अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
    प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥
    महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
    महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥

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    कार्तिकेय जी की आरती

    जय जय आरती वेणु गोपाला
    वेणु गोपाला वेणु लोला
    पाप विदुरा नवनीत चोरा
    जय जय आरती वेंकटरमणा
    वेंकटरमणा संकटहरणा
    सीता राम राधे श्याम
    जय जय आरती गौरी मनोहर
    गौरी मनोहर भवानी शंकर
    सदाशिव उमा महेश्वर
    जय जय आरती राज राजेश्वरि
    राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
    महा सरस्वती महा लक्ष्मी
    महा काली महा लक्ष्मी
    जय जय आरती आन्जनेय
    आन्जनेय हनुमन्ता
    जय जय आरति दत्तात्रेय
    दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
    जय जय आरती सिद्धि विनायक
    सिद्धि विनायक श्री गणेश
    जय जय आरती सुब्रह्मण्य
    सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।