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    Sarva Pitru Amavasya पर रहेगा सूर्य ग्रहण का साया, यहां पता करें पितरों के तर्पण का शुभ समय

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 04:35 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो सर्व पितृ अमावस्या (Solar eclipse 2025) पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इनमें शुभ शुक्ल सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से पू्र्वजों की कृपा प्राप्त होगी। साथ ही पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी।

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    Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या है। यह दिन पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न और तृप्त होते हैं। इस तर्पण को प्राप्त कर पितृ अपने लोक लौट जाते हैं।

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    हालांकि, इस साल सर्व पितृ अमावस्या (sarva pitru Amavasya) पर सूर्य ग्रहण का साया रहने वाला है। आसान शब्दों में कहें तो रविवार 21 सितंबर यानी सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने वाला है। इसके लिए लोगों के मन में यह सवाल है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन कब तर्पण करना चाहिए? तर्पण करने के लिए उचित समय क्या होगा? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

    कब लगेगा सूर्य ग्रहण? (sarva pitru amavasya solar eclipse)

    ज्योतिषियों की मानें तो रविवार 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगेगा। इससे पहले भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा था। चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई दिया था। इसके लिए सूतक भी मान था। सूर्य ग्रहण के दिन सूतक चार प्रहर पहले लग जाता है। वहीं, चंद्र ग्रहण के दिन सूतक तीन प्रहर पहले लगता है।

    सर्व पितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya Shubh Muhurat)

    • आश्विन अमावस्या की शुरुआत 21 सितंबर को देर रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगी
    • आश्विन अमावस्या का समापन 22 सितंबर को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगा।

    सूर्य ग्रहण 2025 (Solar eclipse 2025)

    ज्योतिष गणना के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण देर रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा और ब्रह्म मुहूर्त में तड़के 03 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य नहीं होगा। ऐसे में पंचांग द्वारा निर्धारित समय पर श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं।

    श्राद्ध और तर्पण का समय

    सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध और तर्पण के लिए कुतुप मूहूर्त दिन में 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। वहीं, रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक है। जबकि, अपराह्न बेला में श्राद्ध और तर्पण के लिए समय दोपहर 01 बजकर 27 मिनट से लेकर 03 बजकर 53 मिनट तक है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 19 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 22 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 04 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।