Sita Navami 2025: कब और क्यों मनाई जाती है सीता नवमी? यहां जानें धार्मिक महत्व
वैशाख महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने में अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही वरूथिनी और मोहिनी एकादशी भी मनाई जाती है। इसके अलावा शुक्ल पक्ष में सीता नवमी (Sita Navami 2025 Date) मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर जग की देवी मां सीता की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सीता नवमी का खास महत्व है। इस दिन जगत जननी मां सीता की पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए व्रत रखा जाता है। विवाहित महिलाएं सीता नवमी के दिन व्रत रख भगवान श्रीराम और मां जानकी की भक्ति भाव से पूजा करती हैं।
धार्मिक मत है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम और मां जानकी की पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान राम और मां जानकी की विशेष पूजा की जाती है। आइए, सीता नवमी के बारे में सबकुछ जानते हैं।
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कब मनाई जाती है सीता नवमी? (Sita Navami 2025 Kab Hai)
हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मां जानकी का जन्म हुआ है। इसके लिए हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान राम और मां जानकी की पूजा की जाती है।
सीता नवमी शुभ मुहूर्त (Sita Navami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 05 मई को सुबह 07 बजकर 35 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 06 मई को सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 05 मई को सीता नवमी मनाई जाएगी।
सीता नवमी शुभ योग (Sita Navami Shubh Yoga)
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही रवि और शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान राम और जगत जननी मां जानकी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 59 मिनट पर
- चन्द्रोदय- दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 09 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 12 मिनट से 04 बजकर 55 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट से 07 बजकर 19 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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