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    Sita Navami 2025: इन शुभ योग में मनाई जाएगी सीता नवमी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 02:02 PM (IST)

    सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा का विशेष महत्व होता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और सीता-राम की पूजा करते हैं। इस साल सीता नवमी (Sita Navami 2025) 5 मई को मनाई जाएगी। वहीं इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में पूजा करने से सभी मनोकामनाओ की पूर्ति होगी तो आइए इस दिन जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Sita Navami 2025: सीता नवमी की पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सीता नवमी का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है। यह दिन माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता सीता का धरती पर अवतरण हुआ था। यह पर्व हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है और इसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, इस दिन (Sita Navami 2025) कई शुभ योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, तो आइए यहां जानते हैं।

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    शुभ योग (Sita Navami 2025 Shubh Yog)

    सीता नवमी पर कई शुभ योगों का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो इस पर्व की महिमा को और भी बढ़ा रहे हैं। इस दिन रवि योग दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से अगले दिन सुबह 05 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

    सीता नवमी पूजा समय (Sita Navami 2025 Puja Time)

    • मध्याह्न पूजा मुहूर्त - 5 मई 2025 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

    कब है सीता नवमी? (Sita Navami 2025 Date And Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 मई को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 6 मई को सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर इस साल सीता नवमी का व्रत 5 मई को रखा जाएगा।

    पूजा मंत्र (Sita Navami 2025 Puja Mantra)

    • श्री सीतायै नमः।।
    • ॐ श्री सीता रामाय नमः।।

    सीता नवमी पूजा विधि (Sita Navami 2025 Puja Vidhi)

    सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। साप कपड़े पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक वेदी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप और फल-मिठाई अर्पित करें। सीता चालीसा व जानकी स्तोत्र का पाठ करें। भगवान राम और माता सीता के वैदिक मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करें। इसके बाद पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।

    सीता नवमी का महत्व (Sita Navami 2025 Significance)

    सीता नवमी का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत रखने से पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन माता जानकी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। ऐसे में इस दिन देवी की विधिपूर्वक आराधना करें। इसके साथ ही तामसिक चीजों से दूर रहें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।