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    Kanwar Yatra 2025: भगवा वस्त्र क्यों पहनते हैं कांवड़ यात्री, जानिए इस रंग का महत्व और शक्ति

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 05:51 PM (IST)

    सावन में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025) का आरम्भ होता है जिसमें भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवा वस्त्र धारण करते हैं। भगवा रंग त्याग तपस्या और भक्ति का प्रतीक है जो साधु-संन्यासियों द्वारा भी धारण किया जाता है। यह रंग दर्शाता है कि भक्त सांसारिक मोह-माया से दूर होकर ईश्वर की भक्ति में लीन हैं।

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    भगवा वस्त्र धारण करने वाले कांवड़ियों को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है, जो कृष्ण चतुर्दशी तक चलती है। इस साल 11 जुलाई 2025 से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है। इस यात्रा का मुख्य कारण भगवान शिव को प्रसन्न करना है। भोलेनाथ के आशीर्वाद और उनकी कृपा से कांवड़ यात्री मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। 

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    इस मौके पर आप ज्यादातर कांवड़ियों को भगवा वस्त्र पहने हुए देखेंगे। क्या आप जानते हैं इस रंग के कपड़ों को पहनने के पीछे क्या है कारण? यदि नहीं, तो आज हम आपको इस रंग का धार्मिक और आध्यात्मिक कारण बताने जा रहे हैं।  

    त्याग और तपस्या का प्रतीक है भगवा 

    सेवा, त्याग, तपस्या, संकल्प, श्रद्धा, साधना और भक्ति का प्रतीक भगवा रंग को माना जाता है। इसी वजह से सनातन धर्म में साधु-संन्यासी इस रंग के वस्त्र पहनते हैं। भगवा रंग यह भी दर्शाता है कि इसे धारण करने वाला सांसारिक मोह-माया के जाल से छूट गया है। वह ईश्वर की भक्ति में लीन हो गया है। 

    कांवड़ यात्रा का उद्देश्य सिर्फ नदी से पवित्र जल भरकर शिवालय में जलाभिषेक करना ही नहीं है। यह यात्रा पवित्रता और शुद्धता की मांग भी करती है। इस यात्रा के दौरान किसी तरह का नशा जैसे तंबाकू, गुटका, सिगरेट आदि का सेवन नहीं किया जाता है।

    आत्मबल बढ़ाता है भगवा रंग

    उन्हें इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना और तामसिक भोजन से भी दूर रहना होता है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक चुनौतियों को शिवभक्ति के सहारे ही यात्री पार करते हैं। इसमें भगवा रंग उनके आत्मबल को बढ़ाने में मददगार होता है। 

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    इसी वजह से कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त भगवा रंग के कपड़े पहनते हैं। वह अपनी दैनिक गतिविधियों से ऊपर उठकर शिव भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस दौरान वो कड़ी तपस्या कर रहे होते हैं। इस तप में उनके अंदर ऊर्जा और आत्मबल को यह रंग बढ़ाने में प्रेरित करता है।

    एकजुटता का प्रतीक है भगवा 

    कांवड़ यात्रा समूह में निकाली जाती है क्योंकि बिना अनुशासन, सेवा भाव और समर्पण के यह मुश्किल होगी। एकजुटता का प्रतीक भी होता है। इस वजह से भगवा रंग के कपड़े उन्हें एकजुट रखते हैं और उनमें धार्मिक चेतना के भाव को भी जागृत रखते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।