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    Laxmi Ji Ki Aarti: इस आरती के बिना अधूरी है मां लक्ष्मी की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 24 Apr 2025 07:35 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि धन की देवी मां लक्ष्मी (Laxmi Ji Ki Aarti) स्वभाव से बेहद चंचल हैं। एक स्थान पर ज्यादा समय तक नहीं ठहरती हैं। इसके लिए नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही परिवार के सदस्यों के मध्य प्यार और स्नेह बना रहता है।

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    Laxmi Ji Ki Aarti: मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को प्रिय है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए साधक वैभव लक्ष्मी व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। वैभव लक्ष्मी व्रत स्त्री और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं। वैभव लक्ष्मी व्रत में अंतराल भी रखा जा सकता है। विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत रखती हैं।

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    धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है। ज्योतिष भी आर्थिक तंगी समेत जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति पाने के लिए लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा एवं भक्ति करें। इस समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। वहीं, पूजा समापन का समापन लक्ष्मी आरती से करें।

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    ॐ जय जगदीश हरे आरती

    ॐ जय जगदीश हरे...

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

    स्वामी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    मां लक्ष्मी की आरती

    ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

    तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता

    सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता

    जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

    कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    जिस घर तुम रहती सब सद्‍गुण आता

    सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

    खान पान का वैभव, सब तुमसे आता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता

    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

    उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

    ॐ जय लक्ष्मी माता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।