Shubh Ashubh Yog: कैसे बनते हैं योग, जिनसे तय होता है किसी भी काम का शुभ-अशुभ फल
ज्योतिष शास्त्रों में योग का विशेष महत्व माना गया है। शुभ या अशुभ मुहूर्त निर्धारित करने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए योग (Shubh Ashubh Yog) को पंचांग का एक प्रमुख अंग माना जाता है। ऐसे में चलिए जानत हैं कि ज्योतिष शास्त्र में कौन-से योग शुभ फल देते हैं और किन योग को अशुभ माना गया है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीवन में ग्रह और नक्षत्रों का विशेष महत्व माना गया है। सनातन धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त देखने के बाद ही किया जाता है, जिसमें ग्रह और नक्षत्रों का जरूरी योगदान होता है। जहां शुभ योग में किए गए शुभ व मांगलिक कार्य करने का विशेष महत्व माना गया है, वहीं अशुभ योग में शुभ कार्यों को करने के मनाही होती है। चलिए जानते हैं इनके बारे में।
कैसे होता है योग का निर्माण
सूर्य और चंद्रमा की एक-दूसरे से स्थिति के आधार योग का निर्माण होता है, अर्थात सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरीयों की स्थितियों को योग कहते हैं। इसी के साथ पंचांग, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर भी योग का निर्माण होता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 प्रकार के योग माने गए हैं, जिनमें से कुछ शुभ परिणाम देते हैं, तो वहीं कुछ अशुभ भी होते हैं।
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ये हैं 27 योग
- विष्कुंभ
- प्रीति
- आयुष्मान
- सौभाग्य
- शोभन
- अतिगंड
- सुकर्मा
- धृति
- शूल
- गंड
- वृद्धि
- ध्रुव
- व्याघात
- हर्षण
- वज्र
- सिद्धि
- व्यतिपात
- वरीयान
- परिध
- शिव
- सिद्ध
- साध्य
- शुभ
- शुक्ल
- ब्रह्म
- इंद्र
- वैधृति
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कौन से होते हैं शुभ योग -
शुभ योग में योगानुसार शुभ या मंगल कार्य कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में प्रीति योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, शोभन योग, सुकर्मा योग, ब्रह्म योग, घृति योग, शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग आदि को शुभ योग माना गया है। ऐसे में आप इन शुभ योग में शुभ यात्रा, गृह प्रवेश, कोई नया काम शुरू करना और विवाह जैसे कार्य कर सकते हैं। इसका आपको शुभ परिणाम मिलता है।
ये हैं अशुभ योग
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिध और वैधृति योग को अशुभ माना जाता है। इन 9 योग के अलावा अन्य सभी योग को शुभ माने गए हैं। ऐसे में इन योग में सभी प्रकार के शुभ कामों को करने से बचने की सलाह दी गई है।
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