Shivling Puja Niyam: शिवलिंग जलाभिषेक के समय किस दिशा में होना चाहिए आपका मुख, ध्यान रखें ये नियम
सनातन धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के एकल रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक सच्चे मन से शिवलिंग (Shivling Puja niyam) की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं। आपको पूजा का पूर्ण फल तभी मिल सकता है जब आप शिवलिंग से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन आपको जल चढ़ाने से संबंधित कुछ नियम भी जरूर ध्यान रखने चाहिए, ताकि आपको इसका पूरा लाभ मिल सके। ऐसे में चलिए जानते हैं कि किसी दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
दिशा का रखें ध्यान
शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति को शिवलिंग पर इस तरह से जल चढ़ाना चाहिए, कि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो। इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि जल चढ़ाते समय आपका मुख पश्चिम या फिर दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। जलाभिषेक के दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जप भी करते रहें। इससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
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जलाभिषेक के नियम
शिवलिंग अभिषेक के लिए हमेशा गंगाजल या फिर साफ पानी का ही इस्तेमाल करें। जलाभिषेक के लिए हमेशा तांबे, पीलत या फिर चांदी के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। जल इस तरह अर्पित करें कि उसकी जलधारा पतली और धीमी गति से शिवलिंग पर गिरे। सीधे खड़े होकर शिव जी का जलाभिषेक नहीं करना चाहिए। आप बैठकर या झुककर शिवलिंग का जलाभिषेक कर सकते हैं।
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न करें ये गलतियां
हमेशा स्नान करने और स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद ही शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। भूल से भी शिवलिंग पर गंदा जल अर्पित न करें, वरना भोलेनाथ नाराज हो सकते हैं। साथ ही जल चढ़ाते समय आपके मन में किसी तरह के नकारात्मक नहीं आने चाहिएं। शांत और श्रद्धाभाव से शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए और इस दौरान शिव जी का ध्यान करना चाहिए।
बोलें ये मंत्र
- ॐ नमः शिवाय।
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
- ॐ अघोराय नम: ।
- ॐ शर्वाय नम: ।
- ॐ विरूपाक्षाय नम: ।
- ॐ विश्वरूपिणे नम: ।
- ॐ त्र्यम्बकाय नम:।
- ॐ कपर्दिने नम: ।
- ॐ भैरवाय नम: ।
- ॐ शूलपाणये नम:।
- ॐ ईशानाय नम: ।
- ॐ महेश्वराय नम:।
- ॐ ऊर्ध्व भू फट् ।
- ॐ नमः शिवाय ।
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ।
- ॐ इं क्षं मं औं अं ।
- ॐ प्रौं ह्रीं ठः ।
- ॐ नमो नीलकण्ठाय ।
- ॐ पार्वतीपतये नमः ।
- ॐ पशुपतये नम: ।
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