महाशिवरात्रि के दिन ही शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ
भगवान भोलेनाथ की पत्नी सती है पार्वती थीं। सती का पुनर्जन्म पार्वती के रूप में हुआ था। सती, प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। उनकी मां मनु की पुत्री प्रसूति थीं। मां प्रसूति ने 16 कन्याओं को जन्म दिया था।
भगवान भोलेनाथ की पत्नी सती है पार्वती थीं। सती का पुनर्जन्म पार्वती के रूप में हुआ था। सती, प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। उनकी मां मनु की पुत्री प्रसूति थीं। मां प्रसूति ने 16 कन्याओं को जन्म दिया था।
स्वाहा नामक कन्या का अग्नि देव के साथ, सुधा नाम की कन्या का पितृगण के और सती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। शेष तेरह कन्याओं का चंद्रमा के साथ विवाह हुआ था।
लेकिन एक बार जब प्रजापति दक्ष ने विशाल यज्ञ करवाया तो उसमें शंकर जी को आमंत्रित नहीं किया। सती जब बिन बुलाए अपने पिता के घर पहुंची तो उन्होंने शिव और सती दोनों को अपमानित किया। इस कारण उन्होंने यज्ञ वेदी में स्वयं की आहुति दे दी। जब यह बात शिव को पता चली तो उन्होंने यज्ञ को तहस-नहस कर दिया था।
वह माता सती के शव को लेकर कई दिनों तक ब्रह्मांड और पृथ्वी पर भटकते रहे। लेकिन विष्णु जी ने उस शव के सुदर्शन चक्र से टुकड़े कर दिए। यह टुकड़े जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए। मां के यह शक्तिपीठ 51 हैं। जो वर्तमान में भी मौजूद हैं।
मां सती का अगला जन्म हिमनरेश(हिमालय) के यहां हुआ। इस जन्म में उनकी मां मैनावती थीं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमनरेश के घर आये थे। हिमनरेश के पूछने पर देवर्षि नारद ने पार्वती के विषय में यह बताया कि, ' राजन् आपकी यह कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान शंकर से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा।'
इस तरह मां पार्वती ने शिव को पतिरूप में पाने के लिए कठोर तप किया और अंततः महाशिवरात्रि के दिन ही शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। शिवपुराण के अनुसार शिव की बारात में भूत-पिशाच, शिवगण, सभी देवता आए थे। इस तरह महाशिवरात्रि के दिन ही यह शुभकार्य संपन्न हुआ।
और पार्वती शिवमय हो गईं। भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी हैं। उनके दो पुत्र हैं जिनके नाम है कार्तिकेय( भगवान मुरुगन) और गणेश।