Shiv Mantra: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का जप, दूर हो जाएंगे सभी संकट
शिव पुराण में वर्णित है कि (Shiv Mantra) देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय है। इस दिन महादेव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुखों का आगमन होता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष मनचाही मुराद पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। साथ ही शुक्र देव की कृपा बरसती है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सोमवार के दिन भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।
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शिव मंत्र (Shiv Mantra)
1. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
2. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
3. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
4. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
5. शिव बिल्वाष्टकम्
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं।
त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः।
तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः।
काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं।
प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः।
नक्तं हौष्यामि देवेश ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा।
तटाकानिच सन्धानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं।।
कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं।
उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च।।
भस्मलेपन सर्वाङ्गम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयो:।
यज्नकोटि सहस्रस्च ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ।
कोटिकन्या महादानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं।
अघोर पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते।
अनेकव्रत कोटीनाम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा।
अनेक जन्मपापानि ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
6. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।
7. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
8. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।
9. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
10. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वाम, सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
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