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    Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी पर करें इस चमत्कारी चालीसा का पाठ, सभी रोगों से मिलेगी मुक्ति

    शीतला अष्टमी को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह उपवास हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है इस साल यह व्रत (Sheetala Ashtami 2025) 22 मार्च को रखा जाएगा। कहा जाता है कि जो साधक इस दिन कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सभी रोग-दोष से मुक्ति मिलती है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 17 Mar 2025 02:01 PM (IST)
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    Sheetala Ashtami 2025:श्री शीतला चालीसा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शीतला अष्टमी का पर्व अपने आप में शुभकारी माना गया है। इसे बासौड़ा और अष्टमी तिथि के रूप में हर साल पूर्ण भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इस पावन तिथि पर भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और देवी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न पूजन अनुष्ठान का पालन करते हैं। कहते हैं कि इस पवित्र दिन पर व्रत रखने से स्वास्थ्य, समृद्धि और सुरक्षा का वरदान मिलता है, जिसके चलते साधक (Sheetala Ashtami 2025) इसे बहुत ही भक्ति भाव से मनाते हैं। ऐसे में जो लोग लंबे समय से किसी रोग से परेशान हैं, उन्हें इस दिन सुबह -सुबह स्नान के बाद देवी का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद एक देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। फिर मां को बासी खाने का भोग लगाना चाहिए।

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    इसके बाद ''श्री शीतला चालीसा'' का पाठ करना चाहिए। अंत में आरती करके घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटना चाहिए। प्रसाद बीमार व्यक्ति को जरूर खाना चाहिए। साथ ही कुछ दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से सभी तरह के रोगों का नाश होता है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

    ।।श्री शीतला चालीसा।।

    ''दोहा''

    जय-जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान।

    होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धि बल ज्ञान।।

    घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार।

    शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार।।

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    ''चौपाई''

    जय-जय-जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।

    गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।

    विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीरा।।

    मातु शीतला तव शुभनामा। सबके गाढ़े आवहिं कामा।।

    शोकहरी शंकरी भवानी। बाल-प्राणरक्षी सुखदानी।।

    शुचि मार्जनी कलश करराजै। मस्तक तेज सूर्य समसाजे।।

    चौसठ योगिन संग में गावैं। वीणा ताल मृदंग बजावै।।

    नृत्य नाथ भैरो दिखरावैं। सहज शेष शिव पार ना पावैं।।

    धन्य-धन्य भात्री महारानी। सुरनर मुनि तब सुयश बखानी।।

    ज्वाला रूप महा बलकारी। दैत्य एक विस्फोटक भारी।।

    ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।

    हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।

    हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।

    तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।

    विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।

    बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।

    अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।

    पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।

    अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।

    श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।

    कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।

    विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।

    तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।

    तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।

    नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।

    नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।

    श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।

    मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।

    राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।

    सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।

    कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।

    हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।

    निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।

    कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।

    बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।

    सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।

    या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।

    कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।

    ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।

    अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।

    बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।

    ''दोहा''

    यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय।

    सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।

    बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू।

    जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।