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    Shardiya Navratri 2025: 29 या 30 सितंबर, कब है दुर्गा अष्टमी, पढ़ें मुहूर्त और महत्व

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 01:13 PM (IST)

    इस साल शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) की शुरुआत सोमवार 22 सिंतबर से हो रही है वहीं इसका समापन 1 अक्टूबर को होगा। नवरात्र की अष्टमी तिथि पर माता महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं कई स्थानों पर महाष्टमी के पावन अवसर पर सन्धि पूजा और सरस्वती पूजा भी की जाती है।

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    Durga ashtami 2025 कब मनाया जाएगा दुर्गाष्टमी का पर्व?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र की अष्टमी तिथि विशेष महत्व रखती है, जिसे हम सभी महाष्टमी या दुर्गाष्टमी (Durga Ashtami 2025) के रूप में जानते हैं। कई लोग इस दिन पर नवरात्र व्रत का पारण भी करते हैं और कन्या पूजन करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि शारदीय नवरात्र अष्टमी पूजन कब किया जाएगा और इस तिथि का क्या महत्व है।

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    कब है अष्टमी तिथि

    वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर को दोपहर 4 बजकर 31 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 30 सितंबर को शाम 6 बजकर 6 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में महाष्टमी मंगलवार 30 सितंबर को मनाई जाएगी।

    महाष्टमी का महत्व

    नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की पूजा का विधान है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाअष्टमी पर देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन पर मां दुर्गा के आठवें रूप, महागौरी की पूजा-अर्चना का विधान है। कई साधक नवरात्र के 8वें दिन कन्या पूजन करते हैं। इस दौरान छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन करवाया जाता है।

    कन्याओं को विदा करते समय उन्हें उपहार या धन दिया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही माता रानी की कृपा से स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक उन्नति का भी आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं किसी नए काम की शुरुआत के लिए भी नवरात्र की अष्टमी तिथि को बहुत ही शुभ माना गया है।

    (Picture Credit: Freepik)

    करें इन मंत्रों का जप

    1. मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

    2. मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:

    3. सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    4. मां दुर्गा ध्यान मंत्र है

    ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम|

    लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।