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    Shardiya Navratri 2025 Day 5: ऐसे करें स्कंदमाता की आरती, खुशियों से भर जाएगी झोली

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 06:20 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन (Shardiya Navratri 2025 Day 5) मां स्कंदमाता को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी की पूजा करने से संतान से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। आइए यहां देवी को खुश करने के लिए उनकी भव्य आरती करते हैं।

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    Shardiya Navratri 2025 Day 5: शारदीय नवरात्र की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shardiya Navratri 2025 Day 5: शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का पांचवां स्वरूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से संतान से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं। ऐसे में इस दिन (Shardiya Navratri 2025) सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।

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    देवी के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें फल, मिठाई और फूल आदि चढ़ाएं। फिर मां की आरती करें, जो इस प्रकार हैं -

    स्कंदमाता की आरती (Skandamata Ki Aarti)

    जय तेरी हो स्कंदमाता।

    पांचवां नाम तुम्हारा आता।

    सब के मन की जानन हारी।

    जग जननी सब की महतारी।

    तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।

    हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।

    कई नामों से तुझे पुकारा।

    मुझे एक है तेरा सहारा।

    कहीं पहाड़ों पर है डेरा।

    कई शहरो में तेरा बसेरा।

    हर मंदिर में तेरे नजारे।

    गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।

    भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

    शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।

    इंद्र आदि देवता मिल सारे।

    करे पुकार तुम्हारे द्वारे।

    दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

    तुम ही खंडा हाथ उठाएं

    दास को सदा बचाने आईं

    'चमन' की आस पुराने आई।

    ।।मां दुर्गा की आरती।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

    जय अम्बे गौरी,...।

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

    जय अम्बे गौरी,...।

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