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    Shani Mantra: शनिदेव की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    ज्योतिषियों की मानें तो बुरे कर्म करने वाले जातकों पर शनिदेव (Shani Mantra) की कुदृष्टि पड़ती है। शनिदेव की कुदृष्टि पड़ने से जातक को जीवन में कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति लाख चाहकर अपने जीवन में सफल नहीं हो पाता है। आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए कृष्ण जी और भगवान शिव की पूजा करें।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 30 Jan 2025 07:48 PM (IST)
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    Shani Mantra: शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन भक्ति भाव से शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही शनिदेव के निमित्त शनिवार का व्रत रखा जाता है। शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। शनिदेव की भक्ति करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव न्याय के देवता हैं। यह वरदान उन्हें देवों के देव महादेव से प्राप्त हुआ है। अच्छे कर्म करने वाले जातकों पर शनिदेव की असीम कृपा बरसती है। उनकी कृपा बरसने से जातक अल्प समय में ही सफल हो जाता है। अगर आप भी अपने जीवन में मनमुताबिक सफलता पाना चाहते हैं, तो श्रद्धा भाव से शनिदेव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। वहीं, पूजा का समापन शनि आरती से करें।

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    शनि देव के मंत्र

    1. ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।

    2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।

    3. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।

    छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

    4. अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।

    दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

    गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।

    आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

    5. ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।

    ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।

    ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।

    दशरथकृत शनि स्तोत्र:

    नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।

    नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥

    नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।

    नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥

    नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

    नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥

    नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

    नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥

    नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।

    सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥

    अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।

    नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥

    तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।

    नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥

    ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।

    तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥

    देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

    त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥

    प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।

    एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥

    दशरथ उवाच:

    प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।

    अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥

    शनिदेव की आरती

    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

    सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

    जय जय श्री शनि देव।

    श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

    नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

    जय जय श्री शनि देव।

    क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

    मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

    जय जय श्री शनि देव।

    मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

    लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

    जय जय श्री शनि देव।

    देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

    विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

    जय जय श्री शनि देव।

    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

    सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।