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    Shanidev: इन 4 लोगों को जरूर करनी चाहिए शनिदेव की पूजा, नहीं तो बिगड़ जाते हैं बनते काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 27 Jan 2025 08:41 PM (IST)

    ज्योतिष कुंडली में शनि ग्रह (Shanidev) मजबूत करने के लिए देवों के देव महादेव की पूजा करने की सलाह देते हैं। शनिदेव के आराध्य देवों के देव महादेव हैं। भगवान शिव की तपस्या करने से शनिदेव को मोक्ष प्रदान करने का वरदान प्राप्त हुआ था। इसके साथ ही शनिदेव को कर्मफल दाता भी कहा जाता है। अच्छे कर्म करने वाले जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है।

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    Shanidev: शनि की महादशा में क्या करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। शनिदेव न्याय के देवता और मोक्ष प्रदाता हैं। उनके शरण में रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही करियर में मनमुताबिक सफलता मिलती है।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि शनिदेव कर्मफल दाता हैं। अच्छे कर्म करने वाले को शुभ फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को दंडित करते हैं। बुरा कर्म करने वाले लोग शनिदेव की नजर से बच नहीं पाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो व्यक्ति को शनिदेव अवश्य ही दंड देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि किन लोगों को शनि देव अधिक परेशान करते हैं? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    ज्योतिष में शनिदेव

    ज्योतिषियों ने ग्रहों को दो भागों में बांटा है। मंगल, राहु, केतु और शनि को अशुभ ग्रह की श्रेणी में रखा है। वहीं, बुध, गुरु, शुक्र, रवि और चंद्र ग्रह को शुभ ग्रह की श्रेणी में रखा है। शनिदेव एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं। इस दौरान शनिदेव वक्री और मार्गी चाल चलते हैं। कई बार शनिदेव अस्त भी होते हैं और फिर उदय होते हैं। इससे राशि चक्र की सभी राशियों पर भाव अनुसार प्रभाव पड़ता है।

    कब शनिदेव लेते हैं परीक्षा

    शनि की महादशा, शनि की ढैय्या और शनि की साढ़े साती और शनिदेव के चतुर्थ भाव में रहने पर जातक को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। शनि की साढ़े साती के दौरान जातक को अधिक परेशानी होती है। इस दौरान तीन चरणों में शनिदेव जातक की परीक्षा लेते हैं। इसके अलावा, शनिदेव के किसी जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में रहने पर जातक को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

    ज्योतिषियों की मानें तो शनि के कुंडली के चतुर्थ भाव में रहने पर जातक को माता से वियोग मिलता है। इसके साथ ही मकान संबंधी कामों में असफलता मिलती है। वहीं, शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में वर्णित है कि चतुर्थ भाव में शनि से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बेहद कष्टमय बीतता है। हालांकि, शनि की राशि यानी मकर, कुंभ, तुला एवं मीन रहने पर कष्ट कम होता है। अत: चतुर्थ भाव में शनि से पीड़ित जातकों को शनिदेव की हमेशा पूजा करनी चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।