Shani Jayanti 2025: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से हैं परेशान, तो शनि जयंती के दिन जरूर आजमाएं ये उपाय
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) का त्योहार मनाया जाता है। इस अवसर पर शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिदेव की उपासना करने से जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही शनिदेव की कृपा बनी रहती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनिदेव भक्त के सभी तरह के दुखों को दूर करते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले लोगों को अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनिदेव की कृपा से साधक को जीवन में सफलता मिलती है। धार्मिक मत है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि पर शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस खास अवसर पर शनि मंदिरों को सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कई उपाय भी किए जाते हैं, जिसका शुभ फल मिलता है। अगर आप भी शनि की साढ़ेसाती या फिर ढैय्या से परेशान हैं, तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए शनि जयंती के दिन उपाय जरूर करें। ऐसे में आइए जानते हैं शनि की साढ़ेसाती (Shani Sade Sati Upay) और ढैय्या के उपायों के बारे में।
करें ये उपाय
- अगर आप शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में शनि जयंती के अवसर पर सुबह स्नान के बाद शनिदेव की पूजा-अर्चना करें। इस दौरान सच्चे मन से 11 बार शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनिदेव को काले तिल और फूलमाला अर्पित करें। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता है।
- इसके अलावा शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को दूर करने के लिए शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पेड़ की परिक्रमा लगाएं। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से शनि की साढ़ेसाती की समस्या दूर होती है।
- शनि की ढैय्या (Shani Dhaiya Upay) के प्रभाव को खत्म दूर करने के लिए शनि जयंती के दिन गाय, कुत्ता और कौआ को रोटी खिलाएं। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से शनि की ढैय्या से छुटकारा मिलता है।
शनि जयंती 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी।
यह भी पढ़ें: Shani Jayanti 2025: वर्षों बाद सुकर्मा योग में मनाई जाएगी शनि जयंती, मिलेगा दोगुना फल
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।