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    Shani Amavasya 2025: मार्च महीने में कब है शनि अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    ज्योतिषियों की मानें तो शनि अमावस्या (Shani Amavasya 2025 Date) के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। ग्रहण के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। इस दिन न्याय के देवता शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे। न्याय के देवता शनिदेव के राशि परिवर्तन से मकर राशि के जातकों को लाभ मिलेगा। वहीं मेष राशि के जातकों पर साढ़ेसाती शुरू होगी।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 17 Mar 2025 07:36 PM (IST)
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    Shani Amavasya 2025: शनि देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान किया जाता है। वहीं, गंगा स्नान कर देवों के देव महादेव और मां गंगा की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है।

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    धार्मिक मत है कि अमावस्या तिथि पर देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। वहीं, पूर्वजों का तर्पण एवं पिंडदान करने से साधक पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके लिए अमावस्या तिथि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि मार्च महीने में कब शनि अमावस्या (Shani Amavasya 2025) है? आइए, शनि अमावस्या की सही डेट, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं योग जानते हैं-

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    शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त (Shani Amavasya Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात 07 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 29 मार्च को चैत्र अमावस्या मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि अमावस्या कहलाएगी। इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहते हैं। ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान के बाद पूजा, जप-तप करें। वहीं, पूजा के बाद दान करें।

    शनि अमावस्या शुभ योग (Shani Amavasya Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन ब्रह्म और इंद्र योग का शुभ संयोग बन रहा है। वहीं, दुर्लभ शिववास योग का भी संयोग है। इन योग में गंगा स्नान कर भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। 

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।