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    Shakambhari Navratri 2025: कब मनाई जाएगी शाकंभरी नवरात्र? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 02:41 PM (IST)

    शाकंभरी नवरात्र (Shakambhari Navratri 2025 Puja Vidhi) देवी दुर्गा के अवतार मां शाकंभरी को समर्पित है, जिन्हें फल, फूल, अन्न और सब्जियों की देवी माना ...और पढ़ें

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    Shakambhari Navratri 2025: शाकंभरी नवरात्र पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शाकंभरी नवरात्र (Shakambhari Navratri) हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह देवी दुर्गा के अवतार मां शाकंभरी को समर्पित है। मां शाकंभरी को फल, फूल, अन्न और सब्जियों की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जब धरती पर भीषण अकाल पड़ा था और चारों ओर हाहाकार मच गया था, तब मां दुर्गा ने यह अवतार लेकर भक्तों की रक्षा की थी। इसलिए उन्हें 'शाकंभरी' कहा जाता है। यह नवरात्र पौष महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि तक मनाई जाती है। यह त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    AI Genereted

    शाकंभरी नवरात्र कब है? (Shakambhari Navratri 2025 Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शाकंभरी नवरात्र 28 दिसंबर 2025 से शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 03 जनवरी 2026 को होगा। इस साल शाकंभरी नवरात्र 9 नहीं 8 दिनों के होंगे।

    शाकंभरी नवरात्र की पूजा विधि (Shakambhari Navratri 2025 Puja Vidhi)

    • कलश स्थापना - नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है, जैसे चैत्र या शारदीय नवरात्र में की जाती है।
    • देवी का स्वरूप - मां शाकंभरी की प्रतिमा स्थापित करें या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की ही तस्वीर रखें। उन्हें लाल चुनरी समेत अन्य 16 शृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
    • शाक चढ़ाएं - मां को फल, सब्जी और मिठाई का भोग लगाएं।
    • मंत्र जाप - मां शाकंभरी की पूजा के दौरान "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति शाकंभरी देव्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
    • आरती - दुर्गा सप्तशती का पाठ कर आरती करें।
    • दान - इस नवरात्र के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को सब्जियों, फलों और अनाज का दान करें। इससे अन्न-धन की कमी दूर होती है।
    • हवन - अष्टमी और पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा और हवन किया जाता है। साथ ही पूर्णिमा के दिन ही व्रत का समापन होता है।
    • न करें ये काम - इस दौरान सभी तरह की तामसिक चीजों से दूर रहें।

    पूजा मंत्र (Shakambhari Navratri 2025 Puja Mantra)

    • ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरी अन्नपूर्णा स्वाहा॥
    • ॐ महानारायण्यै च विदमहे महादुर्गायै धीमहि तन्नो शाकम्भरी: प्रचोदयात्॥
    • ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥
    • शाकैः पालितविष्टपा शतदृशा शाकोल्लसद्विग्रहा । शङ्कर्यष्टफलप्रदा भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।