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    Sawan Shivratri 2024: भगवान शिव की पूजा के समय जरूर करें मंगलकारी मंत्रों का जप एवं आरती

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 02 Aug 2024 07:00 AM (IST)

    धार्मिक मत है कि सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2024) पर जगत के जनक देवों के दव महादेव एवं जगत की देवी मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना जल्द पूरी होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान प्राप्त होता है।

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    Sawan Shivratri 2024: सावन शिवरात्रि का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Shivratri 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आज यानी 02 अगस्त को सावन शिवरात्रि है। यह दिन शिव-शक्ति को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जा रही है। साधक अपने घरों पर भी विधि-विधान से देवों के देव महादेव एवं मां पार्वती की पूजा कर रहे हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रख रहे हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अगर आप भी शिव-शक्ति की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज स्नान-ध्यान के बाद विधिपूर्वक भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ एवं निम्न मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा का समापन शिव आरती से करें।

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    शिव मंत्र

    1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

    उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

    परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

    सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

    वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

    हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

    एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

    4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

    शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

    शिवजी की आरती

    ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

    हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

    त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

    सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

    सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

    पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

    भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    जटा में गंगा बहत है,गल मुण्डन माला।

    शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

    नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोइ नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।