Kalashtami 2025: सावन महीने में कब है कालाष्टमी? यहां जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजा समय
हर महीने कालाष्टमी (Kalashtami 2025) के दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर बांके बिहारी कृष्ण कन्हैया लाल और राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साधक श्रद्धा भाव से कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा करते हैं।
यह भी पढ़ें: पूजा में रखें इन वास्तु नियमों का ध्यान, देवी-देवताओं की कृपा से बनी रहेगी खुशहाली
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 जुलाई को शाम 07 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 18 जुलाई को शाम 05 बजकर 01 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी। काल भैरव देव की निशा काल में पूजा की जाती है। इसके लिए 17 जुलाई को सावन माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में पूजा का समय देर रात 12 बजकर 07 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक है।
कालाष्टमी शुभ योग (Kalashtami Shubh Muhurat)
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह की कालाष्टमी पर सुकर्मा और शिववास का संयोग बन रहा है। शिववास योग शाम 07 बजकर 08 मिनट से बन रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। शिववास योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 12 मिनट से 04 बजकर 53 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
पूजा विधि
सावन माह के कालाष्टमी पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। तदोपरांत, पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। पूजा के समय भगवान शिव को सफेद रंग के फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। आरती कर पूजा संपन्न करें।
यह भी पढ़ें: नियमित पूजा-पाठ के बाद भी नहीं मिल रहा फल, तो आपकी ये गलतियां हो सकती हैं कारण
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।