Sawan 2025: सावन के पहले सोमवार पर बरसेगी महादेव की दोगुनी कृपा, इन योग में चमक उठेगी किस्मत
धार्मिक मत है कि सावन सोमवार (Sawan Somvar 2025) पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। वहीं विवाहित जातकों के दांपत्य जीवन में मधुरता एवं निकटता आती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जुलाई को सावन माह का पहला सोमवार है। यह दिन देवों के देव महादेव को पूर्णतया समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त जन अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद विधि-विधान से देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त सावन सोमवारी का व्रत रखते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के पहले सोमवार पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को अमोघ और अक्षय फल मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। आइए, सावन सोमवार के शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं।
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कब है सावन सोमवार?
सावन महीने की शुरुआत शुक्रवार 11 जुलाई से हो रही है। वहीं, सावन महीने का पहला सोमवार 14 जुलाई को है। वहीं, दूसरा सोमवार 21 जुलाई और तीसरा सोमवार 28 जुलाई को है। जबकि, सावन महीने का अंतिम सोमवार का व्रत 04 अगस्त को रखा जाएगा। सावन पूर्णिमा 09 अगस्त को है। इस दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व राखी मनाया जाएगा।
सावन सोमवार शुभ मुहूर्त (Sawan Somvar 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सावन महीने का पहला सोमवार है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 14 जुलाई को देर रात 11 बजकर 59 मिनट तक है। इसके लिए सावन माह के पहले सोमवार पर संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाएगी।
सावन सोमवार शुभ योग (Sawan Somvar 2025 Shubh Yog)
सावन माह के पहले सोमवार पर आयुष्मान और सौभाग्य योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। आयुष्मान योग का संयोग संध्याकाल 04 बजकर 14 मिनट तक है। वहीं, सौभाग्य योग का संयोग रात भर है। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से मनचाहा वरदान मिलेगा।
शिववास योग
सावन माह के पहले सोमवार पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव देर रात 11 बजकर 59 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। धार्मिक मत है कि भगवान शिव के कैलाश और नंदी पर विराजमान रहने के दौरान पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 33 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 11 मिनट से 04 बजकर 52 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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