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    Kamika Ekadashi 2025 Date: सोया भाग्य जगाएगी कामिका एकादशी! यहां जानें सही तिथि, मुहूर्त और पूजा का महत्व

    सनातन धर्म में एकादशी (Ekadashi Vrat 2025) तिथि लक्ष्मी नारायण जी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर वैष्णव समाज के लोग व्रत रखते हैं। साथ ही भक्ति भाव से अपने आराध्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। सावन महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 01 Jul 2025 02:36 PM (IST)
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    Kamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल सावन महीने में कामिका एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और मां तुलसी की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। आइए, सावन में पड़ने वाली कामिका एकादशी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    कब मनाई जाती है कामिका एकादशी?

    कामिका एकादशी का त्योहार सावन महीने में मनाया जाता है। यह पर्व सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

    कामिका एकादशी शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 20 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी और 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इस प्रकार 21 जुलाई को सावन माह की पहली एकादशी मनाई जाएगी।

    कामिका एकादशी शुभ योग (Kamika Ekadashi 2025 Shubh Yog)

    सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक पर धन की देवी की कृपा बरसती है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 36 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 18 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 55 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।