Sawan 2025: इस आरती के बिना अधूरी है भगवान शिव की पूजा, खुशियों से भर जाएगा जीवन
सनातन धर्म में निहित है कि सावन महीने (Sawan 2025) में भगवान शिव एवं मां पार्वती धरती पर निवास करते हैं। इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। उनकी कृपा से जीवन में व्याप्त सभी दुख दूर हो जाते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन माह का दूसरा सोमवार 21 जुलाई को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन पूर्णतया भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक की न केवल हर मनोकामना पूरी होती है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करते हैं।
धार्मिक मत है कि सावन सोमवारी व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। भक्तजन सावन सोमवार के दिन भक्ति भाव से महादेव की पूजा करते हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सावन सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करें। साथ ही पूजा का समापन ॐ जय शिव ओंकारा आरती से करें। इस आरती के बिना शिवजी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
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शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वाम, सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
पार्वती जी की आरती
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
जय पार्वती माता...
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥
जय पार्वती माता...
शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥
जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥
जय पार्वती माता...
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