Sawan 2025: भगवान शिव का ही साकार स्वरूप है पूरा ब्रह्मांड
शिव को सनातन और विश्व कल्याण का आधार बताया गया है। ब्रह्मा विष्णु और महेश की उत्पत्ति शिव से ही मानी जाती है जो सृष्टि के आदि कारण हैं। स्कंद पुराण के अनुसार सृष्टि के अंत में जब सब कुछ नष्ट हो जाता है तब केवल शिव ही विद्यमान रहते हैं। शिवलिंग की पूजा का महत्व बताते हुए इसे ब्रह्मांड का स्वरूप कहा गया है जिसमें सब कुछ समाहित है।

शिवशंकर लिंग मुख्य पुजारी, (केदारानाथ धाम)। शिव सनातन हैं। उनके बिना विश्व कल्याण की कामना भी नहीं की जा सकती। शिव ही इस धरा पालक हैं और शिव ही विनाशक भी। ब्रह्माजी को सृष्टि का रचयिता, भगवान विष्णु को पालक और संहारक माना गया है। लेकिन, मूलतः शक्ति तो एक ही है, जो तीन अलग-अलग रूपों में अलग-अलग कार्य भगवान शिव को करती है। वह मूल शक्ति शिव ही हैं। "स्कंद पुराण' में कहा गया है कि ब्रह्मा, विष्णु व शिव की उत्पत्ति माहेश्वर अंश से ही होती है। सृष्टि का आदि कारण शिव ही हैं।
शिव ही ब्रह्मा हैं। शिव की शक्तियां शाश्वत रूप में उसकी अभिव्यक्ति में प्रतीत होती है, जिसे विद्या व अविद्या कह सकते हैं। इस ब्रह्मांड व्यवस्था में परमात्मा के पारमार्थिक आनंदमय स्वरूप को प्रकट करने वाली शक्ति को विद्या व अविद्या कह सकते है।
शिवलिंग की पूजा
शिव पूजा के रूप में हम शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिव पुराण, लिंग पुराण व स्कंद पुराण में लिंगोत्पति का विस्तार से वर्णन है। 'स्कंद पुराण' में कहा गया है कि वर्तमान श्वेत वाराहकल्प से जब देवताओं की सृष्टि समाप्त हो गई, पशु-पक्षी, मनुष्य, राक्षस, गंधर्व सब सूर्य के ताप से जल गए, सारी सृष्टि जल मग्न हो गई, सब दिशाओं में अंधेरा छा गया, तब सिर्फ शिव ही थे। वही सृष्टि का अनादि तत्व हैं। यही कारण है सृष्टि, स्थिति व प्रलय का। उस शिव का स्वरूप ज्योतिर्लिंग के रूप में है।
इस ज्योतिर्लिंग में ही सब कुछ समाहित है। लिंग की जलहरी ब्रह्मांड का स्वरूप है। पूरा ब्रह्मांड भगवान शिव का ही साकार स्वरूप है। शिव का स्वरूप निराकार व साकार, दोनों ही है।
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