Sawan 2025: शिव की आराधना मनुष्यों के कल्याण के लिए श्रेष्ठ है
दंडी संती स्वामी के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम है। शि और व नामक दो अक्षर मनुष्यों के कल्याण के लिए श्रेष्ठ हैं और परम पद प्राप्त करने में सहायक हैं। भगवान शिव कृपालु हैं और सभी उनकी उपासना करते हैं। शिव का नाम श्रुति में स्थित रहस्य तत्व को बताने वाला है। इन दो अक्षरों के सहारे मोक्ष का अनुष्ठान सिद्ध होता है।

दंडी संती स्वामी (इन्दुभवानन्द आश्रम, रायपुर)। श्रावण मास का पुनीत पर्व चल रहा है। भगवान शिव के पूजन के लिए यह अत्यंत उत्तम मास माना जाता है। भगवान शिव के दो अक्षरों का नाम 'शि' 'व' मनुष्यों के कल्याण के लिए श्रेष्ठ और उत्तम है। यह दो अक्षर परम पद प्राप्त करने के लिए चेष्टा करने वालों के लिए परम पाथेय है। अपने गंतव्य को प्राप्त करने के लिए पक्षी के दो पंखों के समान हैं। जिस प्रकार पक्षी पंख से उड़कर अपने गंतव्य को अर्थात अमृत को प्राप्त कर लेता है।
वैसे ही जिसके मुख में शिव ये दो अक्षर होते हैं, वह अपने गंतव्य परम पथ को प्राप्त कर लेता है। भगवान शंकर बड़े कृपालु है, तथा प्रकृति के समस्त देवता, दानव, यक्ष, नाग किन्नर, मनुष्य समस्त योनि के जीव भगवान शिव की उपासना करते हैं। वे अजातशत्रु हैं कोई भी उनको अपना शत्रु नहीं मानता है।
दो अक्षरों शिव के सहारे
सभी भगवान शिव को अपनी आत्मा मानते हैं। शिव का नाम श्रुति में स्थित रहस्य तत्व को बताने वाला गुप्तचर है। इन दो अक्षरों शिव के सहारे ही मोक्ष का अनुष्ठान स्वतः सिद्ध हो जाता है। संसार के आदि और अंत दोनों के शिव साक्षी होते हैं। शिव के ज्ञान से आदि और शिव के ज्ञान में अंत होता है, जिस प्रकार नदी के दो तट होते हैं, वैसे ही संसार रूपी नदी के दो तट ये दो अक्षर ही हैं। इनके सहारे ही संसार नदी को पार किया जा सकता है।
सावन का मास भगवान शिव की पूजन के लिए अति उत्तम इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि यह मास श्रवण नक्षत्र पर समाप्त होता है, श्रवण नक्षत्र भगवान विष्णु को प्रिय होता है और उस नक्षत्र में मास की समाप्ति होने से भगवान शिव को यह मास प्रिय है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।