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    Saphala Ekadashi Vrat Katha: सफला एकादशी पर करें इस चमत्कारी कथा का पाठ, इसके बिना अधूरा है व्रत

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 09:09 AM (IST)

    सफला एकादशी का व्रत (Saphala Ekadashi Vrat Katha Ka Path) पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है, जो जीवन के सभ ...और पढ़ें

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    Saphala Ekadashi Vrat Katha: सफला एकादशी पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Saphala Ekadashi Vrat Katha: सफला एकादशी का व्रत पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि इत व्रत को रखने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सफला एकादशी का व्रत आज यानी 15 दिसंबर को रखा जा रहा है। वहीं, यह व्रत रखने वालों को इसकी व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा है।

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    सफला एकादशी व्रत कथा (Saphala Ekadashi Vrat Katha Ka Path)

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    चंपावती नाम की एक नगरी थी, जिस पर महिष्मान नामक एक राजा राज्य करता था। राजा के पांच पुत्र थे, जिनमें से सबसे बड़ा पुत्र लुम्पक बेहद दुष्ट, पापी और बुरे कर्म करने वाला था। वह हमेशा देवताओं और ब्राह्मणों की निंदा करता था। राजा महिष्मान ने अपने पुत्र लुम्पक को इन बुरे कर्मों के कारण राज्य से बाहर निकाल दिया। लुम्पक को अब जंगल में दर-दर भटकना पड़ता था। उसने खाने के लिए चोरी करना शुरू कर दिया। एक बार पौष महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि की रात उसे ठंडी के कारण नींद नहीं आई। वह पूरी रात जागता रहा। अगली सुबह तक वह भूख और ठंड से बेहोश हो चुका था।

    जब उसे होश आया, तो उसने सोचा कि वह केवल फल खाकर अपनी भूख मिटाएगा। उसने जंगल से फल तोड़े और एक पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु का नाम लेकर उन्हें फल अर्पित किए। अनजाने में ही उसने सफला एकादशी का उपवास और रात्रि जागरण पूरा कर लिया था। इस अनजाने में किए गए व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए, जिसके शुभ प्रभाव से अगली सुबह लुम्पक को एक दिव्य घोड़ा और सुंदर वस्त्र मिले। आकाशवाणी हुई, "हे लुम्पक! यह सब सफला एकादशी के व्रत का फल है। अब तुम अपने पिता के पास जाओ और राज्य संभालो।"

    लुम्पक ने तुरंत अपने पिता के पास जाकर क्षमा मांगी और उन्हें सारी बात बताई। राजा महिष्मान ने प्रसन्न होकर लुम्पक को राज्य सौंप दिया। लुम्पक ने श्रद्धापूर्वक राजपाट संभाला और धर्म-कर्म करने लगा। अंत में, सफला एकादशी के प्रभाव से उसे विष्णु लोक में स्थान मिला।

    कथा पाठ का धार्मिक महत्व (Saphala Ekadashi Vrat Katha Significance)

    सफला एकादशी का व्रत रखने से पिछले सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जीवन के हर कष्ट और संकट से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष मिलता है। साथ ही श्री हरि की कृपा मिलती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।