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    Navratri 2025: मां दुर्गा ने कब और क्यों लिया मां चामुंडा का रूप? 'संधि पूजा' से जुड़ा है इसका रहस्य

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 06:40 PM (IST)

    सनातन धर्म में संधि पूजा का खास महत्व है। इस दौरान देवी मां दुर्गा के रौद्र स्वरूप देवी मां चामुंडा की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने के लिए देवी मां चामुंडा की कठिन साधना की जाती है। मां चामुंडा (Sandhi Puja 2025) की साधना करने से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

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    Sandhi Puja 2025: कब और क्यों मनाई जाती है संधि पूजा?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 30 सितंबर को महाअष्टमी है। इस शुभ तिथि पर मां गौरी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है। शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर संधि पूजा की जाती है।

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    (Image Credit: chamunda_mata_mandir_ujjain_)

    शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा ने रौद्र रूप मां चामुंडा की पूजा और भक्ति की जाती है। मां चामुंडा की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए, मां चामुंडा की उत्पत्ति और महिमा के बारे में जानते हैं-  

    मां चामुंडा अवतरण कथा (Maa Chamunda Story)

    शारदीय नवरात्र का हर एक दिन विशेष होता है। इस शुभ अवसर पर देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि चंड और मुंड के संहार के लिए मां दुर्गा ने चामुंडा का रूप धारण किया था।

    चिरकाल में असुर शुंभ और निशुंभ का आतंक तीनों लोक में फैल गया था। शुभ और निशुंभ के अत्याचार से तीनों लोक में त्राहिमाम मच गया। स्वर्ग पर अपना अधिपत्य जमा करने के लिए शुंभ और निशुंभ ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। शुंभ और निशुंभ की ताकत के सामने स्वर्ग के देवता टिक न सके। उस समय शुंभ और निशुंभ ने इंद्र को बेदखल कर देवलोक पर अपना अधिपत्य स्थापित कर दिया। उस समय सभी देवता ब्रह्मा और विष्णु जी के पास गए। उन्हें अपनी आपबीती सुनाई।

    तब भगवान विष्णु ने देवताओं को मां जगदंबा से सहायता लेने की सलाह दी। सभी देवता मां जगदंबा के शरण पहुंचे और देवी मां जगदंबा की उपासना करने लगे। देवगणों की कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां कौशिकी प्रकट हुईं। यह जानकारी असुर शुंभ और निशुंभ को हुई। उस समय शुंभ और निशुंभ ने अपने दूत चंड और मुंड को देवी मां कौशिकी से युद्ध करने के लिए भेजा।

    चंड और मुंड को अपनी शक्ति पर बड़ा घमंड था। असुरों ने देवी मां कौशिकी को युद्ध के लिए ललकारा। हालांकि, देवी मां कौशिकी ने कोई उत्तर नहीं दिया। उस समय चंड और मुंड ने बल का प्रयोग किया। तब देवी मां कौशिकी के क्रोध से मां चामुंडा का अवतार हुआ। मां चामुंडा ने तत्क्षण चंड और मुंड का संहार कर दिया। संधि काल में मां चामुंडा ने चंड और मुंड का वध किया था। इसके लिए संधि पूजा के दिन मां चामुंडा की पूजा की जाती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।