Sakat Chauth 2025 Moon Rise Time: इस तरीके से करें सकट चौथ व्रत का पारण, नोट करें चांद निकलने का समय
आज यानी शुक्रवार 17 जनवरी 2025 के दिन सकट चौथ का व्रत किया जा रहा है। इस दिन पर खासतौर से भगवान गणेश और सकट माता की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पर व्रत करने से संतान के जीवन में किसी तरह की बाधा नहीं आती। सकट चौथ का व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सकट चौथ (Sakat Chauth 2025) का व्रत, हर साल माघ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर किया जाता है। यह व्रत तिलकुट चौथ के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और बेहतर भविष्य के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पारण किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं आज के लिए चांद निकलने का टाइम।
चांद निकलने का समय (Sakat Chauth Ka Chand Kab Niklega)
सकट चौथ पर चंद्रोदय (Sakat Chauth 2025 Moon Rise Time) रात 09 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में आप इस दौरान चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद अपने व्रत का पारण कर सकते हैं।
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कैसे करें पारण
किसी भी व्रत का पूर्ण फल तभी मिलता है, जब उसका पारण सही ढंग से किया जाए। ऐसे में सकट चौथ का पारण करने के लिए शाम के समय शुभ मुहूर्त गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करें और उन्हें तिलकुट का भोग लगाएं। अंत में सकट चौथ की कथा सुनें और गणेश जी के संग सकट माता की आरती भी करें। अंत में सभी में प्रसाद बांटें। रात में चांद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद आप अपना व्रत खोल सकती हैं। इस दौरान सबसे पहले तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करें और इसके बाद आप फलाहारी खा सकती हैं।
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रखें इन बातों का ध्यान
सकट चौथ के दिन भूल से भी काले रंग के कपड़े न पहलें। इसके शुभ परिणाम नहीं मिलते। इसी के रात में चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस बात का खासतौर से ख्याल रखें कि, जल की छींटे आपको पैरों पर न पड़ें। तिलकुट के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। ऐसे में गणेश जी को तिलकुट का भोग लगाना न भूलें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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