Sankashti Chaturthi 2025: साल की पहली संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की पूजा
लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी (Lambodara Sankashti Chaturthi 2024) माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाएगी। इस दिन पर सकट चौथ का व्रत भी किया जाएगा जिसे काफी महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में यह तिथि और भी खास मानी जा रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और गणेश जी की पूजा विधि।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना से उस कार्य में किसी भी प्राकर की बाधा नहीं आती। गणेश जी की कृपा प्राप्ति के लिए हर माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को भी विशेष माना गया है। ऐसे में आप साल 2025 की पहली संकष्टी चतुर्थी पर विशेष रूप से गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी को प्रातः 04 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 18 जनवरी को प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत शुक्रवार, 17 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय का समय इस प्रकार रहने वाला है -
संकष्टी चतुर्थी पर चन्द्रोदय - रात 09 बजकर 09 मिनट पर
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
गणेश जी की पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब पूजा स्थल पर चौकी पर हरे या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सबसे पहले गणेश जी का जलाभिषेक करें और
उन्हें पीला चंदन लगाएं।
इसके बाद फूल, फल, रोली अक्षत के साथ-साथ गणपति जी को 21 दूर्वा भी अर्पित करें। भोग के रूप में गणेश जी को लड्डू, मोदक और तिलकुट का भोग लगाएं। अंत में संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा का पाठ करते हुए गणेश जी की आरती करें। शाम के समय चंद्र दर्शन करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपने व्रत का पारण करें।
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करें इन मंत्रों का जप
विशेष कृपा प्राप्ति के लिए आप लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी के मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
कदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
ॐ गंग गणपतये नमो नमः
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