Sakat Chauth 2025: क्या पानी पीने से टूट सकता है सकट चौथ का व्रत, जानिए अन्य जरूरी बातें
हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा अर्चना के लिए समर्पित मानी जाती है। वहीं सकट चौथ के दिन सकट माता की पूजा का भी विधान है। इस तिथि पर जहां कुछ साधक निर्जला उपवास रखते हैं तो वहीं कुछ जातक फलाहार भी करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या सकट चौथ के व्रत में पानी पिया जा सकता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत किया जाता है। इस खास दिन पर माताएं अपनी संतान के बेहतर भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ व्रत करती हैं, जिसका पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। जातक इस व्रत को निर्जला भी रखते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या पानी पीने से यह व्रत टूट सकता है।
सकट चौथ का शुभ मुहूर्त (Sakat Chauth Muhurat)
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को प्रातः 04 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 18 जनवरी को प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, सकट चौथ का व्रत शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 को किया जा रहा है। इस दिन चंद्रोदय का समय ये रहने वाला है -
सकट चौथ के दिन चंद्रोदय का समय - रात 09 बजकर 09 मिनट पर
(Picture Credit: Freepik)
पानी पीना सही या गलत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ का व्रत निर्जला रखे जाने का विधान है। इस दिन पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण कर पानी पिया जा सकता है। लेकिन इस दिन पर फलाहार किया जा सकता है। आप इस दिन पर तिल, गुड़, मूंगफली आदि खा सकते हैं। इसी के साथ सकट चौथ के दिन शकरकंद खाने का भी विशेष महत्व माना गया है।
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लगाएं ये भोग
सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा के दौरान उन्हें तिलकुट या फिर अन्य तिल से बनी चीजों का भोग जरूर लगाएं। इससे बप्पा आपसे खुश होते हैं और अपनी दया दृष्टि आपके ऊपर बनाए रखते हैं।
रखें इस बात का ध्यान
सकट चौथ के दिन भूलकर भी साधक को काले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। ऐसा करना काफी अशुभ माना गया है। व्रत करने वाली महिलाओं को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जब आप चंद्रमा को अर्घ्य दे रही हों, तो इस दौरान पानी के छींटे पैरों पर नहीं गिरने चाहिए।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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