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    Sakat Chauth Vrat 2025: आज जरूर करें सकट माता की आरती, सफल होगा आपका व्रत

    वैदिक पंचांग के अनुसार आज यानी शुक्रवार 17 जनवरी 2025 को सकट चौथ का व्रत (Sakat Chauth Vrat 2025) किया जा रहा है। इस दिन पर भगवान गणेश और सकट माता की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान सकट माता की आरती जरूर करनी चाहिए ताकि आपको व्रत का पूर्ण फल मिल सके।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 17 Jan 2025 09:09 AM (IST)
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    Sakat Chauth Vrat 2025: सकट चौथ पर जरूर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के मुताबिक, हर साल माघ कृष्ण चतुर्थी पर सकट चौथ का व्रत किया जाता है। इसे तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस व्रत को संतान की उन्नति और बेहतर भविष्य के लिए बहुत ही खास माना गया है। इस दिन पर माताएं अपनी संतान हेतु निर्जला व्रत करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही इस व्रत का पारण किया जाता है।

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    सकट चौथ का शुभ मुहूर्त (Sakat Chauth Muhurat)

    माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि 17 जनवरी को प्रातः 04 बजकर 06 मिनट पर हो चुकी है। वहीं, चतुर्थी तिथि 18 जनवरी को प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, सकट चौथ का व्रत शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 को किया जा रहा है। इस दिन चंद्रोदय का समय जरूर नोट कर लें, जो इस प्रकार है -

    सकट चौथ के दिन चंद्रोदय का समय - रात 09 बजकर 09 मिनट पर

    (Picture Credit: Freepik)

    सकट माता की आरती

    जय जय संकटा भवानी,

    करहूं आरती तेरी ।

    शरण पड़ी हूँ तेरी माता,

    अरज सुनहूं अब मेरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    नहिं कोउ तुम समान जग दाता,

    सुर-नर-मुनि सब टेरी ।

    कष्ट निवारण करहु हमारा,

    लावहु तनिक न देरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    काम-क्रोध अरु लोभन के वश

    पापहि किया घनेरी ।

    सो अपराधन उर में आनहु,

    छमहु भूल बहु मेरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    सकट चौथ के दिन गणेश जी संग सकट माता की पूजा का भी विधान है। इस दिन से मुख्य रूप से तिलकुट का भोग लगाया जाता है और व्रत करने वाली महिलाएं भी तिल से बनी चीजों का सेवन करती हैं।

    हरहु सकल सन्ताप हृदय का,

    ममता मोह निबेरी ।

    सिंहासन पर आज बिराजें,

    चंवर ढ़ुरै सिर छत्र-छतेरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    खप्पर, खड्ग हाथ में धारे,

    वह शोभा नहिं कहत बनेरी ॥

    ब्रह्मादिक सुर पार न पाये,

    हारि थके हिय हेरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    असुरन्ह का वध किन्हा,

    प्रकटेउ अमत दिलेरी ।

    संतन को सुख दियो सदा ही,

    टेर सुनत नहिं कियो अबेरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    गावत गुण-गुण निज हो तेरी,

    बजत दुंदुभी भेरी ।

    अस निज जानि शरण में आयऊं,

    टेहि कर फल नहीं कहत बनेरी ॥

    जय जय संकटा भवानी..॥

    यह भी पढ़ें - Sankashti Chaturthi 2025: साल की पहली संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की पूजा

    सकट चौथ के दिन व्रत कथा का पाठ कर सकट माता की आरती जरूर करनी चाहिए। तभी आपका व्रत सफल माना जाता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

    जय जय संकटा भवानी,

    करहूं आरती तेरी ।

    भव बंधन में सो नहिं आवै,

    निशदिन ध्यान धरीरी ॥

    जय जय संकटा भवानी,

    करहूं आरती तेरी ।

    शरण पड़ी हूं तेरी माता,

    अरज सुनहूं अब मेरी ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।