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    Sabarimala Mandir Usha Puja: बेहद खास है सबरीमाला मंदिर की ऊषा पूजा, जानें इसका महत्व

    Updated: Fri, 11 Apr 2025 01:38 PM (IST)

    सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Mandir) की ऊषा पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो भक्तों को भगवान अयप्पा की कृपा पाने और सभी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करती है। यह पूजा आध्यात्मिक जागृति और पापों के नाश का भी प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान में शामिल होने मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाता है तो आइए इसके नियम जानते हैं।

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    Sabarimala Mandir Usha Puja: सबरीमाला मंदिर से जुड़े तथ्य।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सबरीमाला मंदिर का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। यह केरल में स्थित है। यह भगवान अयप्पा को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है, जिनमें से एक है ऊषा पूजा (Sabarimala Mandir Usha Puja 2025) भी है। ऊषा पूजा सबरीमाला मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है और इसे बहुत भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाता है, तो चलिए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    ऊषा पूजा का महत्व  (Sabarimala Mandir Usha Puja 2025 Significance)

    ऊषा पूजा को भगवान अयप्पा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस पूजा को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-शांति मिलती है।

    • आध्यात्मिक ज्ञान -  ऊषा पूजा से आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है। यह पूजा भक्तों को उनकी आंतरिक चेतना से जुड़ने और भगवान अयप्पा का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है।
    • पापों का नाश - भक्तों का मानना है कि ऊषा पूजा करने से उनके पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
    • मनोकामना पूर्ति -  कहते हैं कि ऊषा पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। चाहे वह स्वास्थ्य, धन, सफलता या अन्य किसी चीजों से जुड़ी हुई हो।

    ऊषा पूजा के नियम (Sabarimala Mandir Usha Puja 2025 Rules)

    ऊषा पूजा सूर्योदय से पहले की जाती है। इस पूजा में भगवान अयप्पा की मूर्ति को दूध, घी, शहद और जल से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद, भगवान अयप्पा को फूल, फल और अन्य प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। अंत में, भक्त भगवान अयप्पा के मंत्रों का जाप करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

    ऊषा पूजा में भाग लेने के नियम

    • भक्तों को मंदिर की यात्रा से पहले 41 दिनों का व्रत रखना होता है।
    • भक्तों को अपने सिर पर इरुमुदिकट्टू नामक एक पवित्र गठरी ले जानी होती है।
    •  इस दौरान भक्तों को काले कपड़े पहनने होते हैं।
    • इस यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है।

    ऊषा पूजा में भाग लेने का सबसे अच्छा समय

    सबरीमाला मंदिर में ऊषा पूजा में शामिल होने का सबसे अच्छा समय मंडला पूजा और मकर संक्रांति के दौरान होता है। इस समय, मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है और वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय होता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।