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    शिवजी को बहुत पसंद है रुद्राक्ष, जानिए सावन में इसे कैसे पहनें, ताकि मिले भोलेनाथ की कृपा

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 05:26 PM (IST)

    रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न माना जाता है। इसे सोमवार महाशिवरात्रि या श्रावण मास में धारण किया जा सकता है। रुद्राक्ष धारण करने से सुखों की प्राप्ति होती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है लेकिन इसे धारण करने के कुछ नियम हैं। इसे दूध दही शहद घी और गंगाजल से शुद्ध करके तिलक लगाकर और लाल या पीले धागे में पहनना चाहिए।

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    रुद्राक्ष धारण करने से भोलेनाथ की होती है विशेष कृपा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का काफी महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है। इसी वजह से इसे अलौकिक माना जाता है। रुद्राक्ष इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं। 

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    रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। सोमवार, महाशिवरात्रि या श्रावण मास के किसी भी दिन रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उस पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है। इसे धारण करने से जातक को जीवन में सभी सुखों (Rudraksha Benefits) की प्राप्ति होती है। 

    रुद्राक्ष को धारण करने वाले को कष्टों से छुटकारा मिलता है। मगर, रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम भी होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर रुद्राक्ष से मिलने वाले लाभ कम हो सकते हैं। आइए जानते हैं किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या है इसे पहनने के नियम। 

    रुद्राक्ष पहनने से पहले करें शुद्धि

    रुद्राक्ष को हमेशा शुद्ध करके पहनना चाहिए। सबसे पहले इसे एक कटोरी में दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल से धोकर शुद्ध कर लें। इसके बाद रुद्राक्ष पर तिलक लगाएं। इसके बाद इसे लाल या पीले धागे में पहनना चाहिए। 

    रुद्राक्ष या उसकी माला को पहनने से पहले उसे धूप दिखाएं और फिर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। इसके अतिरिक्त, रुद्राक्ष को गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। 

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    रुद्राक्ष की पवित्रता बनाए रखना जरूरी 

    • रुद्राक्ष को धारण करने के बाद उसकी शुद्धता और पवित्रता बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। 
    • रुद्राक्ष को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। अपनी रुद्राक्ष माला किसी और को नहीं देना चाहिए।
    • रुद्राक्ष पहनने के बाद नॉनवेज नहीं खाना चाहिए। रुद्राक्ष को काले धागे में भी नहीं पहनना चाहिए। 
    • घर में शिशु के जन्म के समय भी रुद्राक्ष को उतारकर मंदिर में रख देना चाहिए। इसे दोबारा शुद्ध करके पहनें।  
    • इसके अलावा रुद्राक्ष को कभी भी अंतिम संस्कार में जाने के दौरान नहीं पहनना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।