किसी भी शुभ काम से पहले कहते हैं दही मछली, क्या है इसका कारण
शुभ कार्यों के लिए निकलते समय दही-मछली कहने की परंपरा है। मछली को शुभता का प्रतीक माना जाता है इसलिए कई घरों में इसे दर्शाया जाता है। दही को पवित्र और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और यह दिमाग को शांत रखता है। इन दोनों शुभ चीजों को एक साथ कहने का उद्देश्य व्यक्ति को कार्य में सफलता और भाग्य का साथ मिलना है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चाहे घर से परीक्षा देने के लिए निकल रहे हो या किसी शुभ काम के लिए बाहर जा रहे हैं। या किसी यात्रा पर जाने के लिए सफर तय करना हो। आपने अक्सर घर में बड़े-बुजुर्गों को यह कहते हुए सुना होगा ‘दही-मछली, जय गणेश’। यह शुभेच्छा क्यों दी जाती है।
दही मछली क्यों कहा जाता है। आपका भी मन में सवाल आया होगा। चाहे आपके यहां नॉनवेज न भी खाया जाता हो, फिर भी शुभेच्छा के रूप में दही मछली जरूर कहा जाता है। दरअसल, मछली को शुभ प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
इसीलिए आपने कई घरों में मछलियां बनी हुई देखी होगी। मछली की अंगूठी या घर में मछलीघर भी कुछ लोग इसी वजह से रखते हैं, ताकि उनके घर में शुभता बनी रहे। बिहार के कुछ इलाकों में खासतौर पर नवविवाहित जोड़ों को दही मछली खिलाई जाती है, ताकि उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।
शुभ और समृद्धि का प्रतीक है दही
दही को भी पवित्र शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। किसी शुभ काम में जाने से पहले दही का तिलक भी लगाया जाता है, ताकि दिमाग शांत रहे। इसलिए किसी भी शुभ काम को करने से पहले इन दोनों शुभ चीजों को साथ मिलकर दही मछली कहा जाता है।
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उद्देश्य है कि व्यक्ति जिस भी कम से जा रहा है उसका वह कार्य सिद्ध हो जाए। उसे सफलता मिले और भाग्य उस काम को सफल करने में उसका साथ दे। मानसिक शांति की कामना करते हुए बड़े बुजुर्ग यह शुभकामना देकर लोगों को घर से भेजते हैं।
दही में पाए जाने वाले गुड बैक्टीरिया पाचन में मदद करते हैं। इसलिए उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से दही का सेवन किया जाता है। वहीं, जो लोग नॉनवेज खाते हैं उनके लिए मछली एक प्रोटीन का बड़ा स्रोत है।
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