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    Shukra Stotra: शुक्रवार के दिन पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी

    Shukra Stotra ज्योतिष कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत करने हेतु शुक्रवार के दिन भगवान शिव एवं शुक्र देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है। इससे करियर और कारोबार समेत सभी क्षेत्रों में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही समय के साथ सुखों में भी वृद्धि होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 28 Dec 2023 07:25 PM (IST)
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    Shukra Stotra: शुक्रवार के दिन पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukra Stotra: दैत्यों के गुरु शुक्र देव सुखों के कारक हैं। कुंडली में शुक्र मजबूत होने से जातक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंडली में शुक्र कमजोर होने पर सुखों में कमी होने लगती है। ज्योतिष कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत करने हेतु शुक्रवार के दिन भगवान शिव एवं शुक्र देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है। इससे करियर और कारोबार समेत सभी क्षेत्रों में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही समय के साथ सुखों में वृद्धि होती है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर देव की भी पूजा की जाती है। अतः शुक्रवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शुक्र स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है। इससे धन संबंधी परेशानी दूर होती है।

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    शुक्र कवच

    मृणालकुन्देन्दुषयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रस्रुतमक्षमालिनम् ।

    समस्तशास्त्रार्थनिधिं महांतं ध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥

    ॐ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः ।

    नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चन्दनदयुतिः ॥

    पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवन्दितः ।

    जिह्वा मे चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥

    भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः ।

    नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं पातु महीप्रियः॥

    कटिं मे पातु विश्वात्मा ऊरु मे सुरपूजितः ।

    जानू जाड्यहरः पातु जंघे ज्ञानवतां वरः ॥

    गुल्फ़ौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वरांबरः ।

    सर्वाण्यङ्गानि मे पातु स्वर्णमालापरिष्कृतः ॥

    य इदं कवचं दिव्यं पठति श्रद्धयान्वितः ।

    न तस्य जायते पीडा भार्गवस्य प्रसादतः ॥

    शुक्र स्त्रोत 

    नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित ।

    वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम:।।

    देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग:।

    परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर:।।

    प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:।

    नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ।।

    तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर:।

    यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ।।

    अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे ।

    त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ।।

    विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन ।

    ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ।

    बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम:।

    भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ।।

    जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: ।

    नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ।।

    नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने ।

    स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन:।।

    य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम ।

    पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ।।

    राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम ।

    भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै:।।

    अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम ।

    रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ।।

    यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा ।

    प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत:।।

    सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि:।।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।