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    Ganesh Ji Aarti: बुधवार को पूजा के समय जरूर करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 03 Jan 2024 08:00 AM (IST)

    Ganesh Ji Ki Aarti शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति विशेष के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। ज्योतिष भी सुख-समृद्धि की प्राप्ति और बुध ग्रह मजबूत करने हेतु भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं।

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    Ganesh ji aarti: बुधवार को पूजा के समय जरूर करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganesh Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में बुधवार के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता है। शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति विशेष के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। ज्योतिष भी सुख-समृद्धि की प्राप्ति और बुध ग्रह मजबूत करने हेतु भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संताप से निजात पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। भगवान गणेश को शमी के पत्ते, दूर्वा और मोदक अर्पित करें। इस समय गणेश चालीसा का पाठ करें। साथ ही पूजा के अंत में ये आरती करें।

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    गणेश जी की आरती

    ओम जय गौरी नन्दन, प्रभु जय गौरी नंदन

    गणपति विघ्न निकंदन, मंगल नि:स्पन्दन

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    ऋषि सिद्धियाँ जिनके, नित ही चवर करे

    करिवर मुख सुखकारक, गणपति विध्न हरे

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    देवगणो मे पहले तव पूजा होती

    तव मुख छवि भक्तो के दुख दारिद खोती

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    गुड का भोग लगत है कर मोदक सोहे

    ऋषि सीद्धि सह शोभित, त्रिभुवन मन मोहै

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    लंबोदर भय हारी, भक्तो के त्राता

    मातु भक्त हो तुम्ही, वांछित फल दाता

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    मूषक वाहन राजत कनक छत्रधारी

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    विघ्नारन्येदवानल, शुभ मंगलकारी

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    धरणीधर कृत आरती गणपति की गावे

    सुख सम्पत्ति युत होकर वह वांछित पावे

    ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन

    गणेश आरती ओम जय गौरी नन्दन,

    गणेश आरती ओम जय गौरी नन्दन

    गणेश जी आरती-2

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    ‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।