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    पतिव्रता होने के बाद भी मंदोदरी को क्यों करना पड़ा दूसरा विवाह, मृत्यु से पहले रावण ने कही थी ये बात

    Updated: Wed, 04 Dec 2024 01:00 PM (IST)

    मंदोदरी रावण की पत्नी थी जिसकी गिनती पतिव्रता नारियों में की जाती है। उसके अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी रावण नहीं माना और अपने अहंकार में चूर होकर उसके अधर्म का ही साथ दिया। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि रावण ने अपने वध से पहले मंदोदरी से क्या कहा था जिसे आज भी लोग याद करते हैं।

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    Ravan story मृत्यु से पहले रावण ने मंदोदरी के क्या कहा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रावण, रामायण ग्रंथ के महत्वपूर्ण किरदारों में से एक रहा है। रावण भले ही बहुत बलशाली और ज्ञानी व्यक्ति था, लेकिन फिर भी अधर्म का साथ देने के कारण उसे अंत में हार का ही सामना करना पड़ा। मंदोदरी, रावण की पत्नी थी, जो राक्षसराज मयासुर की बेटी थीं। पतिव्रता नारी में मंदोदरी को देवी अहिल्‍या के जितना ही सम्मान दिया जाता था। लेकिन इसके बाद भी रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी को दूसरा विवाह करना पड़ा था।

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    मंदोदरी ने दी थी ये सलाह

    मंदोदरी जानती थी की सीता हरण का परिणाम अच्छा नहीं होगा। इसलिए उसने रावण को यह सलाह दी थी कि उसे भगवान राम में अपनी गलती के लिए माफी मांग लेनी चाहिए और माता सीता का सम्मान पूर्वक लौटा देना चाहिए। ताकि इसके कारण होने वाले विनाश से लंका और प्रजा बच जाए। लेकिन अपनी हट के चलते रावण ने मंदोदरी की यह बात नहीं मानी। अगर वह मंदोदरी की यह सलाह मान लेता, तो सोने की लंका का यह हाल नहीं होता।

    रावण ने कही थी ये बात

    युद्ध पर जाने से पहले रावण ने मंदोदरी से कहा था कि यदि राम एक साधारण नर है, तो उसकी मेरे हाथों पराजय होगी। और अगर वह भगवान है, तो मेरा (रावण) वध करने में उसे जितनी ख्याति प्राप्त होगी, उतनी ही मुझे भी होगी। साथ ही लोग युग-युगांतर तक मुझे याद करेंगे। रावण की इस बात को सुनकर मंदोदरी की आंखों से आंसू आने लगे।

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    मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ

    युद्ध में प्रभु श्रीराम के हाथों रावण मारा गया। रावण की मृत्यु के दौरान मंदोदरी के वचन कुछ इस प्रकार थे - ‘अनेक यज्ञों का विलोप करने वाले, धर्म को तोड़ने वाले, देव-असुर व मनुष्यों की कन्याओं का हरण करने वाले, आज तू अपने किए गए इन कर्मों के कारण ही मृत्‍यु को प्राप्त हुआ है’।

    रावण की मृत्यु के बाद भगवान राम ने मंदोदरी और विभीषण के विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन मंदोदरी ने इससे इनकार कर दिया था। भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमान जी ने मंदोदरी को बहुत समझाया। जिसके बाद मंदोदरी को महसूस हुआ कि धार्मिक, तार्किक और नैतिक दृष्टि से यह विवाह गलत नहीं होगा। तब जाकर मंदोदरी, विभीषण से विवाह करने के लिए तैयार हुई।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।