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    Ratha Saptami 2026: रथ सप्तमी पर करें सूर्य देव की यह विशेष आरती, भगवान सूर्य बरसाएंगे कृपा

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 09:10 AM (IST)

    रथ सप्तमी को भगवान सूर्य का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो 2026 में 25 जनवरी को है। मान्यता है कि इसी दिन सूर्य देव ने संसार को प्रकाशित करना शुरू किया थ ...और पढ़ें

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    Ratha Saptami 2026: रथ सप्तमी पर करें ये आरती।

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ratha Saptami 2026: हिंदू धर्म में रथ सप्तमी का दिन भगवान सूर्य के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 2026 में यह पावन पर्व 25 जनवरी को पड़ रहा है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सूर्य देव ने अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर पूरे संसार को प्रकाशित करना शुरू किया था। रथ सप्तमी पर सूर्य देव की उपासना करने से न केवल लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है, बल्कि कुंडली के अशुभ ग्रह दोष भी शांत होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूजा के अंत में अगर पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव की विशेष आरती की जाए, तो जातक के जीवन से अंधकार और दरिद्रता का नाश होता है, तो आइए भगवान सूर्य की यह दिव्य आरती पढ़ते हैं।

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    ।।सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।