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    14 January 2026 Festival List: 14 जनवरी 2026 को मकर संक्रांति के अलावा हैं ये बड़े त्योहार, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 03:16 PM (IST)

    14 जनवरी 2026 (14 January 2026 Festival) धार्मिक रूप से बेहद खास दिन होगा, क्योंकि इस दिन मकर संक्रांति के साथ-साथ षटतिला एकादशी, पोंगल और माघ बिहू जै ...और पढ़ें

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    14 January 2026 Festival List: 14 जनवरी 2026 व्रत-त्योहार लिस्ट।

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 14 January 2026 Festival: साल 2026 की शुरुआत धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद खास होने वाली है। आमतौर पर 14 जनवरी का नाम आते ही जेहन में मकर संक्रांति पर्व का ख्याल आता है, लेकिन 14 जनवरी 2026 का दिन केवल संक्रांति तक सीमित नहीं है। इस दिन ग्रहों की चाल और तिथियों का ऐसा संयोग बन रहा है कि इस दिन एक साथ कई बड़े त्योहार मनाए जाएंगे, जिससे दान, स्नान और पूजा-पाठ का महत्व कई गुना बढ़ गया है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति के अलावा इस दिन और कौन से बड़े व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं।

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    मकर संक्रांति 2026 स्नान-दान मुहूर्त (Makar Sankarnti 2026 Daan Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन दान-पुण्य का समय दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगा। वहीं, इसका समापन शाम 06 बजकर 02 मिनट पर होगा। इस दौरान आप दान-पुण्य कर सकते हैं।

    षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi)

    2026 में 14 जनवरी को माघ मास के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी पड़ रही है। यह भगवान विष्णु को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक है। इस दिन तिल का 6 तरह से उपयोग किया जाता है। संक्रांति और एकादशी का एक ही दिन होना बेहद दुर्लभ है, जो विष्णु और सूर्य देव की कृपा पाने का बहुत बड़ा अवसर भी है।

    पोंगल और माघ बिहू (Pongal OR Magh Bihu)

    दक्षिण भारत में पोंगल और असम में माघ बिहू की शुरुआत भी 14 जनवरी से हो जाएगी।

    • पोंगल - यह चार दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें इंद्र देव और सूर्य देव की पूजा की जाती है।
    • बिहू - असम के इस पर्व में अग्नि देव की पूजा होती है।

    इस महा-संयोग पर क्या करें?

    • महा-दान - इस दिन एकादशी और संक्रांति है, इसलिए तिल, गुड़, गरम कपड़े और खिचड़ी का दान जरूर करें। ऐसा करने से सात जन्मों के पापों का नाश होता है।
    • पवित्र स्नान - इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नहीं जा सकते हैं, तो घर में ही पानी में गंगाजल और तिल डालकर स्नान करें।
    • तर्पण - पितरों की शांति के लिए इस दिन तिल से उनका तर्पण करें।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।