Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा पर बन रहा दुर्लभ संयोग, अभी नोट करें स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2025) के शुभ अवसर पर गंगा नदी में स्नान-ध्यान करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस दिन मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंत्रों का जप जरूर करें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर मां गंगा की पूजा-अर्चना और स्नान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन इन शुभ कामों को करने से साधक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन के दुख और संकट दूर होते हैं।
ज्योतिष गणना के अनुसार, गंगा दशहरा पर रवि और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जिससे साधक को पूजा और स्नान (Ganga Dussehra Snan Daan) करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। ऐसे में आइए जानते हैं गंगा दशहरा की डेट, शुभ मुहूर्त और योग (Ganga Dussehra Rare Yog) के बारे में।
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गंगा दशहरा 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 04 जून को देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 05 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इस दिन स्नान-दान (Ganga Dussehra Shubh Muhurat) करने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक है।
गंगा दशहरा 2025 शुभ योग (Ganga Dussehra 2025 Shubh Muhurat)
ज्योतिष गणना के अनुसार, गंगा दशहरा पर रवि और सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। रवि योग दिन भर रहेगा। इससे साधक को सेहत में लाभ देखने को मिलेगा। वहीं, सिद्धि योग सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इससे सभी मुरादें पूरी होंगी और जीवन में शुभ परिणाम मिलेंगे।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 15 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक
मां गंगा के मंत्र
"गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु"
"गंगा गंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोकं स गच्छति"
"ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता"
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