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    Pitru Paksha 2024: अष्टमी श्राद्ध पर दुर्लभ शिववास योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 23 Sep 2024 05:40 PM (IST)

    पितृ पक्ष (Ashtami Shraddha 2024) पितरों को समर्पित होता है। इस दौरान प्रतिदिन पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष की अष्टमी तिथि पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं।

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    Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 24 सितंबर को आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस शुभ तिथि पर कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। साथ ही पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाएगा। ज्योतिषियों की मानें तो पितृ पक्ष की अष्टमी तिथि (Ashtami Shraddha 2024) पर दुर्लभ द्विपुष्कर योग समेत कई मंगलकारी शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। साथ ही सभी प्रकार के दुखों का नाश होगा। आइए पितृ पक्ष के अष्टमी श्राद्ध पर बनने वाले शुभ योग के बारे में जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। अष्टमी तिथि का समापन 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा।

    दुर्लभ द्विपुष्कर योग (Ashtami Shraddha Dwi-pushkar Yog)

    पितृ पक्ष की सप्तमी तिथि पर द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 11 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर हो रहा है।

    शिववास योग

    पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) की अष्टमी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। शिववास के समय पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।

    करण

    अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर बव और बालव करण के योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण कर सकते हैं। इसके साथ ही मृगशिरा नक्षत्र और आर्द्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन शुभ योग में पितरों का तर्पण करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 11 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट पर

    चन्द्रोदय- रात 11 बजकर 02 मिनट पर

    चंद्रास्त- दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05 बजकर 23 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 02 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 39 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।