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    Rambha Teej 2025: आज है रंभा तीज, यहां जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Thu, 29 May 2025 10:26 AM (IST)

    ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रंभा तीज (Rambha Teej 2025) का व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन अप्सरा रंभा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से व्रत रखने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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    Rambha Teej 2025: रंभा तीज का धार्मिक महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को 'रंभा तीज' का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखने से सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक की मुश्किलें दूर होती हैं। आज यानी 29 मई 2025 को यह पवित्र व्रत रखा जा रहा है। यह दिन (Rambha Teej 2025) विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए कठिन उपवास का पालन करती हैं, तो आइए इस पर्व की पूजा में किसी तरह की कमी न रह जाए, यहां पूजा विधि से लेकर सबकुछ जानते हैं।

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    रंभा तीज पूजा मुहूर्त (Rambha Teej 2025 Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग रात 10 बजकर 38 मिनट से अगले दिन 05 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसी दौरान रवि योग यानी रात 10 बजकर 38 मिनट से अगले दिन 05 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

    इसके साथ ही विजय मुहूर्त 02 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप किसी भी तरह का मांगलिक काम कर सकते हैं।

    रंभा तीज का धार्मिक महत्व (Rambha Teej 2025 Significance)

    रंभा तीज के दिन अप्सरा रंभा की पूजा होती है, जिन्हें सौंदर्य और सौभाग्य की देवी माना जाता है। समुद्र मंथन के दौरान निकली 14 रत्नों में से एक अप्सरा रंभा थीं। इस दिन सोलह शृंगार करके व्रत रखने और पूजा करने से देवी रंभा के साथ-साथ भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद भी मिलता है। कहते हैं कि इस उपवास का सच्ची श्रद्धा से पालन करने सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

    रंभा तीज की पूजा विधि (Rambha Teej 2025 Puja Vidhi)

    • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
    • हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
    • पूजा घर को साफ करें।
    • एक वेदी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
    • देवी रंभा, मां पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
    • महिलाएं सोलह शृंगार करके ही पूजा में शामिल हों।
    • घी का दीपक जलाएं।
    • देवी रंभा को मौसमी फल, लाल फूल, मिठाई आदि चीजें चढ़ाएं।
    • व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
    • अंत में भगवान शिव, माता पार्वती और देवी रंभा की आरती करें।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
    • अगले दिन प्रसाद से व्रत का पारण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।