Rambha Teej 2025: रावण ने किया था माता सीता का हरण, मगर रंभा के इस श्राप की वजह से छू भी नहीं सका था
आज रंभा तीज है। इस अवसर पर हम रावण को मिले एक श्राप की कथा बता रहे हैं जिसके कारण वह सीता माता का हरण करने के बाद भी उन्हें छू नहीं सका। रंभा नामक अप्सरा ने रावण को श्राप दिया था कि यदि उसने किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के बिना छुआ तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज यानी 29 जून 2025 को रंभा तीज का त्योहार है। हर साल ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से महिलाओं को स्वर्ग की सबसे खूबसूरत अप्सरा रंभा का आशीर्वाद मिलाता है, जिससे उनके रूप और सौंदर्य में वृद्धि होती है। उनके पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन सुखी होता है।
रंभा तीज के इस मौके पर आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसकी वजह से रावण का मान-मर्दन हुआ। सीता माता का हरण करने के बाद भी वह उन्हें छू तक नहीं पाया। रामायण कथा के अनुसार, रावण ने माता सीता की सुंदरता के बारे में अपनी बहन शूर्पनखा से जानकर उनका अपहरण कर लिया।
मगर, चाहकर भी वह माता सीता को कभी हाथ भी नहीं लगा सका। इसके पीछे स्वर्ग की एक अप्सरा का श्राप था, जिसके तहत यदि रावण किसी स्त्री को उसकी मर्जी के बिना अपनाने की कोशिश करेगा, तो रावण के सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।
स्वर्ग में रावण ने रंभा को देखा, तो मोहित हो गया
यह श्राप रावण को किसी और ने नहीं, बल्कि स्वर्ग की सबसे खूबसूरत अप्सरा रंभा ने दिया था। समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में से एक रंभा अपने सौंदर्य, मधुर वाणी, नृत्य कलाओं की वजह से तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी। विश्व विजय के बाद जब रावण स्वर्ग पहुंचा, तो उसकी नजर रंभा पर पड़ी।
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रंभा के रूप को देखकर कामातुर रावण उससे पकड़ने का प्रयास करने लगा। तब रंभा ने रावण को बताया कि वह उनके भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी है। इस रिश्ते से वह रावण की पुत्र वधू लगती है। इसलिए रावण को अपनी पुत्र वधू रंभा पर गलत नजर नहीं रखनी चाहिए।
फिर रंभा ने दे दिया था रावण को यह श्राप
मगर, फिर भी रावण नहीं माना और उसने उसने रंभा के साथ जबरदस्ती की। इससे दुखी होकर रंभा ने रावण को श्राप दे दिया कि अगर उसने किसी भी स्त्री को बिना उसकी अनुमति के छुआ भी, तो उसके सिर के टुकड़े हो जाएंगे। इसी श्राप की वजह से रावण ने सीता का हरण करने के बावजूद उन्हें छू भी नहीं पाया।
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