Ramadan 2025: रमजान में फितरा और जकात से करें गरीबों की मदद
इस्लाम धर्म के लोगों के लिए रमजान (Ramadan 2025) का महीना बेहद अहम होता है जब वे विभिन्न प्रकार नियमों का पालन करते हैं। कहा जाता है कि इस पूरी अवधि का बहुत महत्व है जब हर अच्छे काम के लिए सामान्य दिनों की अपेक्षा सत्तर गुना अधिक पुण्य मिलता है। इसलिए इस दौरान ज्यादा से ज्यादा दान करने की कोशिश करें और लोगों की मदद करें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रमजान केवल भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा रखकर और अल्लाह की इबादत करते हुए एक मुसलमान शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ्य होता है। एक स्वस्थ्य व्यक्ति ही स्वस्थ्य परिवार व समाज का निर्माण कर सकता है। रमजान में अल्लाह हर अच्छे काम के लिए सामान्य दिनों की अपेक्षा सत्तर गुना अधिक पुण्य देता है। इसलिए भी इस माह का विशेष महत्व है, तो चलिए इस बारे में ''मौलाना मोहम्मद अब्बास कासमी (महासचिव, जमीयत)'' से विस्तार से जानते हैं।
धर्म व जाति का न करें भेद
धर्म व जाति का भेद किए बिना जरूरतमंदों की मदद करें। आंख, मुंह, हाथ, पैर, दिल, दिमाग से किसी के बारे में बुरा न करें, बुरा न सोचें। जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए लोगों को माफ करें। अपनी गलतियों के लिए भी माफी मांगें। जब इंसान माफ करेगा तभी अल्लाह भी माफ करेगा।
अल्लाह की खूब करें इबादत
रमजान में फितरा और जकात की राशि से गरीबों की मदद करें। उनके इस माह में अल्लाह की खूब इबादत करें। उनके कर्ज का भुगतान करें। उन्हें कर्ज मुक्त करें। अच्छे काम करें। उन्हें रोजगार के लिए आर्थिक मदद दें, ताकि एक गरीब अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। गरीब जकात से ही परिवार के लिए ईद की तैयारी करते हैं। आपका पड़ोसी चाहे किसी धर्म का हो भूखा न रहे। इस बात का ध्यान रखें।
रमजान महीने में जकात और फितरा दो महत्वपूर्ण दान हैं, जो इस्लाम धर्म के द्वारा दिए जाते हैं।
जकात
- जकात इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, और यह एक मुख्य दान है, जो उन लोगों पर लागू होता है, जिनके पास एक निश्चित स्तर की संपत्ति है, जिसे निसाब कहा जाता है।
- यह उनकी संपत्ति का 2.5% है, जो जरूरतमंदों को दिया जाता है।
- जकात पूरे साल दी जा सकती है, लेकिन रमजान में इसे देना विशेष रूप से अच्छा माना जाता है।
फितरा
- फितरा, जिसे जकात-उल-फित्र भी कहा जाता है, एक तरह का दान है, जो रमजान के अंत में ईद-उल-फित्र की नमाज से पहले जरूरतमंदों को दिया जाता है।
- यह दान सभी को देना चाहिए, चाहे उनकी संपत्ति कितनी भी हो।
- इसका उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है, जो ईद का जश्न मनाने में सक्षम नहीं हैं।
- आपको बता दें कि दोनों ही दान जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में समानता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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