Ramadan 2025: आत्म संयम के साथ समानता का भाव पैदा करता है रोजा
रमजान का महीना बेहद पाक माना जाता है। इस दौरान लोग अल्लाह की रहमत पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इबादत करते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। रमजान (Ramadan 2025 Guidelines) को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं जिनका पालन हर किसी के लिए जरूरी है तो आइए यहां इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ramadan 2025: रमजान इस्लाम का सबसे 'पवित्र महीना है, जिसमें रोजा (उपवास) रखा जाता है, लेकिन उपवास केवल इस्लाम तक सीमित नहीं है, यह सभी प्रमुख धर्मों में होता है। हिंदू, ईसाई व सिख धर्म में भी उपवास की परंपरा है। जैन धर्म में सांसारिक लालसा उपवास आत्मसंयम और तपस्या का महत्वपूर्ण अंग है, तो आइए ''हबीब हैदर, (अंतरराष्ट्रीय शिया वक्ता विद्वान व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा (अ.मो.) )'' से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
भक्ति और आत्मशुद्धि का माध्यम
यह दर्शाता है कि उपवास एक सार्वभौमिक परंपरा है, जो आत्मसंयम, भक्ति और आत्मशुद्धि का माध्यम है। रोजा न केवल आत्मसंयम सिखाता है, बल्कि समाज में समानता की भावना भी पैदा करता है। एक अमीर और गरीब दोनों दिन भर भूख-प्यास सहते हैं, तो यह नमाज,
तिलावत और इबादत से इंसान अपने गुनाहों की माफी मांगता है और आध्यात्मिक रूप से खुद को मजबूत करता है। उपवास केवल शरीर का नहीं, बल्कि दिल और दिमाग का भी होता है।
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एकजुटता को बढ़ावा देता है
रोजा सहानुभूति और एकजुटता को बढ़ावा देता है। रोजे के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना, इफ्तार कराना इस्लाम की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। रोजा आत्मशुद्धि का एक साधन है। इंसान अपनी आत्मा को सांसारिक लालसा से मुक्त करके अल्लाह की ओर अधिक झुकाव महसूस करता है।
रमजान का महत्व
इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बहुत ज्यादा पाक माना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इसी महीने के दौरान पैगंबर मुहम्मद को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थीं। यह महीना आध्यात्मिकता, अनुशासन और एकता को बढ़ावा देता है। ऐसा कहा जाता है कि रमजान के दौरान रोजे रखने से व्यक्ति का शरीर और आत्मा दोनों ही शुद्ध होते हैं।
इसके साथ ही इसका पालन करने से जीवन में बरकत आती है। ऐसे में इस दौरान ज्यादा से ज्यादा नमाज अदा करें और अच्छे काम में शामिल हों।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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