Rakhi Bandhan 2025: आखिर क्यों भद्रा काल में नहीं बांधी जाती है राखी? दशानन रावण से जुड़ा है इसका कनेक्शन
जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी (Rakhi Bandhan 2025) बांधती है तो वह उसमें अपने मन के सारे भाव प्रेम प्रार्थना और आस्था बांधती है। ऐसे पवित्र बंधन को सही समय पर बांधना ही उसका संपूर्ण फल देता है। इसके लिए शुभ मुहूर्त में राखी बांधी जाती है।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। इस पावन दिन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। एक ऐसा पवित्र धागा, जिसमें उनका स्नेह, आशीर्वाद और सुरक्षा की मंगलकामना बंधी होती है। भाई भी जीवनभर उसकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं और यह रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है। यह केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि आत्मीयता और समर्पण का भाव है, जो हर साल इस दिन को बेहद खास बना देता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर साल राखी बांधने से पहले लोग 'भद्रा काल' की बात क्यों करते हैं? रक्षाबंधन का समय तय करते वक्त सबसे पहले ‘भद्रा काल’ की गणना की जाती है। पंडित या परिवार के बड़े खास ध्यान रखते हैं कि राखी बांधते समय भद्रा काल न हो। ऐसा क्यों चलिए जानते हैं…
भद्रा काल में राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए?
इसका जवाब हमें एक पुरानी कथा में मिलता है। मान्यता है कि रावण की बहन शूर्पणखा ने रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी और कुछ ही समय बाद रावण का अंत हो गया था। इसलिए यह माना जाता है कि भद्रा काल में बांधी गई राखी, रक्षा का नहीं बल्कि अनिष्ट का कारण बन सकती है।
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राखी कोई साधारण धागा नहीं है। यह प्रेम, सुरक्षा और आशीर्वाद का प्रतीक है। जब बहन यह धागा बांधती है, तो वह ईश्वर से अपने भाई के लिए निर्भय जीवन और शुभ भविष्य की कामना करती है। ऐसे पवित्र संकल्प के लिए शुभ समय का होना आवश्यक है।
रक्षाबंधन के दिन चंद्र देव, शिव जी और विष्णु भगवान की विशेष कृपा होती है। अगर हम भद्रा काल में राखी बांधते हैं, तो यह शुभ ऊर्जा हम तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाती। इसलिए पंचांग देखकर, भद्रा समाप्त होने के बाद ही राखी बांधना शुभ और फलदायी माना गया है।
भद्रा कौन हैं?
पुराणों में बताया गया है कि भद्रा देवी, शनि देव की बहन हैं। भद्रा का स्वभाव बहुत तेज और गुस्से वाला माना जाता है। कहा जाता है कि जब वह रुष्ट होती हैं, तो अच्छे कार्यों में विघ्न डाल देती हैं। इसलिए जब भद्रा काल होता है, तब शुभ और पवित्र काम करने से रोका जाता है।
भद्रा क्या है?
भद्रा कोई इंसान नहीं, बल्कि एक खास समय होता है। इसे 'विष्टि करण' भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह समय बहुत ही संवेदनशील और अशुभ माना जाता है। भद्रा दिन या रात किसी भी समय आ सकती है। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, या राखी बांधने जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते क्योंकि ऐसा माना गया है कि इस समय किए गए कामों का फल ठीक नहीं मिलता।
सार
भद्रा काल में राखी न बांधने का नियम कोई डर फैलाने की बात नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति की गहराई और समय की पवित्रता को समझाने वाला एक संकेत है। रक्षाबंधन केवल एक रेशमी धागा बांधने की रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के स्नेह, आशीर्वाद और सुरक्षा के वचन का त्योहार है।
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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