Raja Harishchandra: यूं ही नहीं राजा हरिश्चंद्र कहलाते सत्यवादी और दानवीर, जरूर पढ़ें ये कहानी
राजा हरिश्चंद्र सत्यवादी होने के साथ-साथ महादानी और धर्मपरायण राजा के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके जीवन में चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न आई हो उन्होंने कभी धर्म और सत्य का साथ नहीं छोड़ा। उनका पूरा जीवन व्यक्तिमात्र के लिए प्रेरणादायक है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं राजा हरिश्चंद्र से जुड़ी कथा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब-जब सत्य की बात चलती है, तो सबसे पहले जुबान पर राजा हरिश्चंद्र (Daanveer Raja Harishchandra) का ही नाम आता है। राजा हरिश्चंद्र को सत्यवादी की उपाधि मिली हुई है। माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती की वजह से ही राजा हरिश्चंद्र को जीवन में इतनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
इसलिए कहलाए महादानी
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हरीश्चंद्र अपनी दानवीरता को लेकर काफी प्रसिद्धि थे। ऐसे में एक बार महर्षि विश्वामित्र, राजा की परीक्षा लेने पहुचे। इन दौरान उन्होंने राजा से उनका सारा राज्य मांग लिया। इसपर राजा ने बिना किसी संकोच के अपना पूरा राज्य महर्षि को खुशी-खुशी दान कर दिया।
लेकिन इसके बाद महर्षि ने दक्षिणा की भी मांग कर दी। तब महर्षि विश्वामित्र को दक्षिणा देने के लिए राजा ने खुद के साथ-साथ अपनी पत्नी रानी तारामती और पुत्र रोहिताश्व को बेच दिया।
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
पत्नी से भी मांगा कर
राजा हरिश्चंद्र को श्मशान के स्वामी ने खरीद लिया, वहीं उनकी पत्नी और पुत्र को एक ब्राह्मण ने खरीद लिया। इस दौरान एक दिन रोहिताश्व को एक सांप ने काट लिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई। जब तारामती अन्तिम संस्कार के लिए पुत्र को लेकर शमशान पहुंची, तो वहां राजा हरीश्चंद्र कार्यरत थे। इसपर राजा ने अपनी पत्नी से भी कर मांगा। लेकिन तारामती के पास कर चुकाने के लिए धन नहीं था। तब रानी ने अपनी साड़ी को फाड़कर कर चुकाने का फैसला लिया।
यह भी पढ़ें - Gayatri Jayanti 2025: चित्रा नक्षत्र समेत कई मंगलकारी योग में मनाई जाएगी गायत्री जयंती, मिलेगा दोगुना फल
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
सफल हुई परीक्षा
जैसे ही कर चुकाने के लिए तारामती अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ने लगी वैसे ही आकाश में एक तेज गर्जन हुई। इस दौरान विश्वामित्र प्रकट हुए और राजा से बोले हे राजा! तुम धन्य हो, ये सब तुम्हारी परीक्षा हो रही थी, जिसमें तुम सफल हुए और तुमने ये सिद्ध कर दिया कि तुम श्रेष्ठ दानवीर और सत्यवादी हो। इसके बाद रोहिताश्व पुनः जीवित हो गया और राजा को उसका राज्य वापिस मिल गया।
यह भी पढ़ें - क्या हॉर्न छोड़कर पूरी गाड़ी बजती है, चद्दर पर रहती हैं सिलवटें… ये हैं शनि के खराब होने के संकेत
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।