Rahu ke Upay: मायावी ग्रह राहु कब देता है सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव? निजात पाने के लिए करें ये उपाय
ज्योतिषियों की मानें तो देवों के देव महादेव की पूजा (Rahu ke Upay) करने से राहु और केतु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही कुंडली में चंद्रमा और शुक्र मजबूत होता है। शुक्र देव की कृपा से जातक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं चंद्र देव की कृपा से शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में राहु को मायावी ग्रह कहा जाता है। राहु और केतु दोनों वक्री चाल चलते हैं। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान हैं। वहीं, केतु कन्या राशि में विराजमान हैं। ज्योतिषियों की मानें तो राहु और केतु की कृपा बरसने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। साथ ही जातक को मनमुताबिक सफलता मिलती है। वहीं, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों के चलते जातक को जीवन में कई प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। जातक लाख चाहकर भी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाता है। भगवान शिव एवं जग के नाथ भगवान विष्णु की पूजा करने से राहु और केतु का प्रभाव कम होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि मायावी ग्रह राहु और केतु कब सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव (Rahu negative effects) देता है और कैसे राहु के अशुभ प्रभावों को समाप्त करें? आइए जानते हैं-
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गुरु चांडाल दोष
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य, चंद्रमा या गुरु के साथ राहु और केतु की युति होने पर जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। गुरु के साथ राहु-केतु के रहने पर गुरु चांडाल दोष लगता है। कुंडली में गुरु चांडाल दोष बनने से सभी प्रकार के शुभ कार्यों में बाधा आती है। मांगलिक कार्य पर ग्रहण लग जाता है। लाख चाहकर भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। यह दोष कुंडली के किसी भाव में राहु और गुरु के साथ रहने पर बनता है। गुरु चांडाल दोष लगने पर निवारण अनिवार्य (astrology tips for Rahu) है। अनदेखी करने से जातक का जीवन कष्टमय व्यतीत होता है।
गुरु चांडाल दोष (Rahu ke Upay)
गुरु चांडाल दोष लगने पर योग्य पंडित जी से निवारण कराएं। वहीं, गुरु चांडाल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही गुरुवार के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। रोजाना पीले रंग के चंदन का टीका माथे पर लगाएं। तुलसी की माला से भगवान विष्णु के नामों का मंत्र जप करें। इन उपायों को करने से गुरु चांडाल दोष का प्रभाव कम या समाप्त होता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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