Radha Birth Story: मां कीर्ति के गर्भ से नहीं हुआ था भगवान कृष्ण की राधा का जन्म, जानें उनसे जुड़ी 7 महत्वपूर्ण बातें
Radha Birth Story Radha ka Janm Radha ke Janm Ki Katha आज राधा रानी का जन्मदिवस या प्रकाट्य दिवस है जिसे राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है।
Radha Birth Story: आज राधा रानी का जन्मदिवस या प्रकाट्य दिवस है, जिसे राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बरसाना में धूमधाम से राधारानी का जन्मदिवस मनाया जाता है। राधा और कृष्ण एक दूसरे के पूरक हैं, जहां कृष्ण हैं, वहां राधा हैं, जहां राधा हैं, वहां कृष्ण हैं। राधा को कृष्ण की आत्मा कहा जाता है, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम राधारमण भी है। जिस प्रकार भगवान कृष्ण अजन्मे हैं, वैसे ही राधा भी अजन्मी हैं। श्रीकृष्ण के बारे में लोगों को बहुत सी बातें पता हैं, लेकिन राधा कौन थीं, उनका जन्म कैसे हुआ, उनके माता पिता कौन थे, उनकी शादी किससे हुई जैसे कई सवालों के जवाब लोगों को पता नहीं होते हैं।
आज राधाष्टमी के अवसर पर हम आपको राधा के जन्म और उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते बता रहे हैं—
1. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा रानी का जन्म उनकी माता के गर्भ से नहीं हुआ है। वह श्रीकृष्ण के जैसे ही अजन्मी हैं।
2. ब्रह्मवैवर्त पुराण में एक पौराणिक कथा के अनुसार, राधा जी श्रीकृष्ण जी के साथ गोलोक में रहती थीं। एक बार उनकी अनुपस्थिति में श्रीकृष्ण अपनी दूसरी पत्नी विरजा के साथ घूम रहे थे। तभी राधा जी आ गईं, वे विरजा पर नाराज हुईं तो वह वहां से चली गईं।
3. श्रीकृष्ण के सेवक और मित्र श्रीदामा को राधा की यह बात ठीक नहीं लगी। वे राधा को भला बुरा कहने लगे। बात इतनी बिगड़ गई कि राधा ने नाराज होकर श्रीदामा को अगले जन्म में शंखचूड़ नामक राक्षस बनने का श्राप दे दिया। इस पर श्रीदामा ने भी उनको पृथ्वी लोक पर मनुष्य रूप में जन्म लेने का श्राप दिया।
4. राधा जी ने मथुरा के रावल गांव में वृषभानु जी की पत्नी कीर्ति की बेटी के रूप में जन्म लिया, लेकिन वे कीर्ति के गर्भ में नहीं थीं। भाद्रपद की शुक्ला अष्टमी चन्द्रवासर मध्यान्ह के समय सहसा एक दिव्य ज्योति प्रसूति गृह में फैल गई, यह इतनी तीव्र ज्योति थी कि सभी के नेत्र बंद हो गए। एक क्षण पश्चात् गोपियों ने देखा कि एक नन्ही बालिका कीर्ति मैया के पास लेटी हुई है। उसके चारों ओर दिव्य पुष्पों का ढेर है।
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5. नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने 12 वर्षों तक तप करके ब्रह्म देव से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा था। फलस्वरूप द्वापर में वे राजा वृषभानु और रानी कीर्ति के रूप में जन्मे। दोनों पति-पत्नी बने।
6. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह रायाण से हुआ था। रायाण भगवान श्रीकृष्ण का ही अंश थे।
7. राधा को जब श्राप मिला था तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि तुम्हारा मनुष्य रूप में जन्म तो होगा, लेकिन तुम सदैव मेरे पास रहोगी।