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Radha Ashtami 2019 Significance: राधाष्टमी व्रत से आपके घर में सदा होगा लक्ष्मी का वास

Radha Ashtami 2019 Significance Radha Ashtami 2019 vrat importance Ladli Ji temple barsana भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के 15 दिन बाद राधाजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 12:23 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 12:23 PM (IST)
Radha Ashtami 2019 Significance: राधाष्टमी व्रत से आपके घर में सदा होगा लक्ष्मी का वास
Radha Ashtami 2019 Significance: राधाष्टमी व्रत से आपके घर में सदा होगा लक्ष्मी का वास

Radha Ashtami 2019 Significance: भगवान श्रीकृष्ण की अतिप्रिय राधारानी का प्रकाट्य भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। 06 सितंबर को राधा जी के जन्म स्थान बरसाना में उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इस दिन के लिए लाड़िली जी मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के 15 दिन बाद राधाजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन व्रत रहने से घर में सदा ही लक्ष्मी का वास होता है। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन सुखमय हो जाता है।

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श्रीकृष्ण को प्राणों से प्रिय हैं राधा

राधा जी भगवान श्रीकृष्ण को प्राणों से प्रिय हैं, तो श्रीकृष्ण राधा जी के इष्टदेव हैं। भगवान ने स्वयं राधारानी के बारे में कहा है कि उनके समान कोई दूसरा नहीं है। उनके सामने तो करोड़ों महालक्ष्मी भी नहीं ठहरती हैं।

उनकी सुंदरता और गुणों का बखान कोई नहीं कर सकता। वह स्वयं भी उनके गुणों का बखान कर पाने में असमर्थ हैं। राधाजी भगवान श्रीकृष्ण की अधिष्ठात्री देवी हैं। जिनकी सुंदरता और गुणों पर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण मुग्ध हैं तो राधा अपना सर्वस्व निछावर करके उनसे प्रेम करती हैं।

पुराणों में राधा को भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा बताया गया है, इसलिए ही भगवान श्रीकृष्ण राधारमण कहलाए।

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ऐश्वर्य, धन और संपूर्ण कामनाओं की पूर्ति करती हैं राधा

राधाजी को सभी कामनाओं का साधन माना जाता है, इसलिए लोगों को राधाष्टमी का व्रत करने को कहा जाता है। जो भी व्यक्ति राधाष्टमी का व्रत करता है, उसके घर में लक्ष्मी का वास होता है। उसे धन-दौलत की कमी नहीं रहती है। राधाजी अपने भक्तों के सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।

इसके अलावा संतान के सुखद और दीर्घ जीवन के लिए भी राधाष्टमी का व्रत करना आवश्यक माना गया है। महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए भी यह व्रत करती हैं।


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